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यूपी/अमेठी-भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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यूपी/अमेठी-भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

चंदन दुबे की रिपोर्ट

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रणवीर रणंजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय,अमेठी में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी व्यावसायिक नीतिशास्त्र : 21वीं सदी की आवश्यकता विषय पर शिक्षक शिक्षा विभाग एवं मध्यकालीन इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वन्दना से हुआ।संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् लखनऊ के निदेशक डॉ0 पूजा व्यास ने कहा मानव जीवन के उन्नयन के लिए व्यावसायिक आचार आवश्यक है।भागवत गीता हमें नैतिकता की शिक्षा देता है।उसमें अनेक मानवीय मूल्यों का उल्लेख किया गया है जिससे समाज का उन्नयन होता है। नीतिशास्त्र हमें क्या करना चाहिए,क्या नहीं करना चाहिए उस पर विस्तृत प्रकाश डालता है। व्यक्तिगत रूप से हम नीतिगत होंगे तो व्यावसायिक रूप से भी नीतिगत होंगे।आदर्श समाज का निर्माण ही वास्तविक व्यावसायिक नैतिकता है।

मुख्य अतिथि गनपत सहाय पी0जी0 कालेज सुलतानपुर के डॉ0 प्रभाकर मिश्र ने कहा कि व्यावसायिक नैतिकता पाश्चात््य सोच की देन है।व्यवसाय एवं नैतिकता में काफी अन्तर है। आज व्यावसायिक नैतिकता का अर्थ शिक्षा द्वारा नौकरी प्राप्त करना है।मुख्य वक्ता डॉ0 अभिषेक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षकों के सामने नैतिकता पर भाषण देना कठिन है।इथिक्स व्यावहारिक इथिक्स का ही एक भाग है। इथिक्स मानव आचरण का मूल्यांकन करता है।

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आभार व्यक्त करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 त्रिवेणी सिंह कहा कि शिक्षा और विद्या में अन्तर है।वैश्वीकरण के दौर में भारतीय व्यावसायिक नीतिशास्त्र और भी प्रासंगिक हो गया है।आज शिक्षकों में विद्यार्थियों के प्रति प्रेम स्नेह में निरन्तर कमी आ रही है।शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए शिक्षकों के लिए निर्मित व्यावसायिक नैतिकता की संहिता का पालन आवश्यक है।डॉ0 लाल साहब सिंह ने कहा कि हर व्यवसाय की अपनी अलग-अलग व्यावसायिक नैतिकता है जिसके बिना किसी भेद-भाव के पालन होना चाहिए।

स्वागत करते हुए आयोजन सचिव डॉ0 राधेश्याम तिवारी ने कहा कि 21वीं सदी में शिक्षक एवं छात्र के आपसी सम्बन्ध बदल गये हैं, दोनों के लिए व्यवसायिक प्रतिबद्धता आवश्यक है।

संयोजक डॉ0 एम0पी0 त्रिपाठी ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत किया।

संगोष्ठी में डॉ0 जयशंकर सिंह,डॉ0 ओमशिव पाण्डेय,डॉ0 रामसुन्दर यादव,डॉ0 सुभाष सिंह,डॉ0 लाजो पाण्डेय,डॉ0 धनन्जय सिंह,डॉ0 आशीष त्रिपाठी,डॉ0 दयानन्द सिंह,डॉ0 धर्मेन्द्र वैश्य,डॉ0 उमेश सिंह,डॉ0 देवेन्द्र मिश्र,डॉ0 सन्तोष कुमार सिंह,डॉ0 ओ0पी0 त्रिपाठी,डॉ0 मानवेन्द्र प्रताप सिंह,डॉ0 दिनेश बहादुर सिंह,डॉ0 जितेन्द्र कुमार पाण्डेय,डॉ0 ज्योति सिंह आदि शिक्षक उपथित रहे।

संगोष्ठी का संचालन छात्रा आस्था मिश्रा ने किया।

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