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अमेठी/यूपी-कुशलता पूर्वक संपन्न हुआ सावित्रीबाई फुले पुस्तकालय का उद्घाटन

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यूपी/अमेठी-कुशलता पूर्वक संपन्न हुआ सावित्रीबाई फुले पुस्तकालय का उद्घाटन

चंदन दुबे की रिपोर्ट

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युवाओं में साहित्य की भावना जगाने और पुस्तकालय के महत्व को देखते हुए विकासखंड भादर के अंतर्गत दुर्गापुर बाजार में सावित्रीबाई फुले पुस्तकालय का उद्घाटन किया गया।जिसमें भारत देश के कथाकार ,कहानीकार,गजल कार कवि,साहित्यकार एवं कलम कारों ने प्रतिभाग किया।

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सावित्रीबाई फुले पुस्तकालय का उद्घाटन सरिता देवी पत्नी शिव मूर्ति कथाकार ने फीता काटकर किया।उद्घाटन कार्यक्रम की शुरुआत में भारत देश की महान हस्ती शिव मूर्ति कथाकार डीएम मिश्र कवि सुल्तानपुर ,कौशल किशोर, भगवान कटियार ,विजय मिश्र दिल्ली, कमल किशोर, हरेंद्र मौर्य, रविशंकर सिंह, संतोष कुमार शर्मा लखनऊ, पंकज मिश्रा पत्रकार व लेखक, पवन तिवारी दैनिक जागरण, कैलाश मिश्र इलाहाबाद, रामनरेश, अश्विनी कुमार अग्रवाल ,सुबोध कुमार गाजियाबाद सहित महान हस्तियों का माल्यार्पण करके स्वागत किया गया।पुस्तकालय की स्थापना पर लोगों को संबोधित करते हुए अयूब ने कहा कि किताबे दुखों से दूर करके लोगों को इंसान बना कर समाज निर्माण का कार्य करती हैं जिससे हमारी दुनिया बेहतर होगी ।किताबो से जीवन में एक खिड़की खुलती हैं।विवेक ने बताया पुस्तकालय से रोशनी की किरण जागृत होती है।किताबें मनुष्य के भीतर से वह चीजें बाहर लाती हैं जिसके बारे में आपको खुद नहीं मालूम होता है।सावित्रीबाई फुले प्रथम महिला शिक्षक थी जिस देश का युवा पुस्तकालय को समझ लेता है उस देश का युवा मंदिर, शिवालय एवं मस्जिदों को छोड़कर एक सशक्त समाज का निर्माण करता है।कोलकाता से आए रविशंकर ने बताया कि पुस्तकालय में वह अपने परिजनों से छुपकर किताबें पढ़ते थे जिसके कारण है मुझे आज एक साहित्यकार के रूप में जाना जाता है साहित्यिक रचना और गैर साहित्यिक रचना में अंतर हमें किताबों के माध्यम से ही ज्ञात हुआ।पुस्तकालय की संकल्पना को हम सलाम करते हैं।किताबों का विकल्प केवल किताबें ही हो सकती हैं।कल्पना जगत में उड़ान भरने की आजादी हमें किताबों से ही मिलती है उनसे ही एक अच्छे इंसान का निर्माण होता है।लखनऊ से आई कौशल किशोर ने बताया साहित्य की दुनिया हमें एक नई दुनिया में ले जाती है जीवन में कुछ पाना है तो प्रश्न का होना बहुत जरूरी है।जिसके लिए ज्ञान की दुनिया किताबों में जाना होता है जिससे मनुष्यता को पैदा किया जा सकता है।अच्छे समाज के निर्माण के लिए पुस्तकालय की स्थापना आंदोलन के रूप में होनी चाहिए।

पवन तिवारी दैनिक जागरण ने बताया कि पुस्तकालय मंदिरों की अपेक्षा ज्यादा पूजनीय है बीच गांव में ममता की छांव में पढ़ते हैं बच्चे ,रात फिर आई है पूरी गांव सन्नाटे में डूबा है जैसी सूक्तियों का बखूबी उल्लेख किया।सुल्तानपुर से आए डॉ डीएम मिश्र ने कहा दरिया का हुस्न छोटे से कचरे में देखिए। दुनिया बड़ी हसीन है शीशे में देखिए और अपना भविष्य छोटे बच्चों में देखिए जिससे सशक्त समाज का निर्माण होगा।

इसके अलावा कैलाश मिश्र, अमृत सिंह, प्रवीण भास्कर, शिव मूर्ति कथाकार ने भी लोगों के साथ अपने विचार साझा किया ।शिवमूर्ति जी ने कहा कि पुस्तकालय की स्थापना से सच्चे राष्ट्र का निर्माण हो सकता है इसके लिए हमें युवाओं में अलख जगाए रखनी चाहिएऔर कार्यक्रम का समापन किया। पुस्तकालय का संचालन शिक्षक एवं कवि ममता सिंह के नेतृत्व में किया गया।

इस अवसर पर अमरजीत यादव, प्रवीण कुमार भास्कर,अजय कुमार भास्कर, रंजीत कुमार यादव ,विभूति नारायण सिंह, रामसुख सिंह सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।

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