सुलतानपुर-तो जानबूझकर पुलिस ने लगाई थी 66-ए आईटी एक्ट की धारा?,
तो जानबूझकर पुलिस ने लगाई थी 66-ए आईटी एक्ट की धारा?,
पहले भी हलियापुर थानाध्यक्ष अरशद खान द्वारा खनन विभाग की पकड़ी गई ट्रक समेत कई मामलों में किया गया है संदेहास्पद कार्य औऱ अभी तक उन पर नही हुई हैं कोई कार्यवाही,……
क्या चर्चित दरोगा द्वारा PM CM के खिलाफ हुई इस अभद्र टिप्पणी के मामले को भी ठंडे बस्ते में जाएगा डाला?…..
क्या पुलिस विभाग द्वारा इतने बड़े मामले पर थानाध्यक्ष पर होगी कोई कार्यवाही या सेटिंग्स गेटिंग खेल यू ही बदस्तूर रहेगा जारी?……
कार्यवाहियों की मॉनिटरिंग करने के जिम्मेदार थानाध्यक्ष की कार्यशैली पर भी सवाल उठा है। अब देखना है कि जिले के उच्चाधिकारी पीएम-सीएम के अपमान से जुड़े इस मामले को मामूली चूक समझ कर हजम कर ले जाते है,या फिर इस गलती
के जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिरती है,फिलहाल जो भी होगा,यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
सुल्तानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने समेत अन्य मामलो में आरोपियो को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया। रिमांड मजिस्ट्रेट देवर्षिदेव कुमार ने हिस्ट्रीशीटर विक्रम सिंह उर्फ लाल साहब समेत अन्य आरोपियों की रिमांड स्वीकृत कर उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। वहीं पीएम व सीएम के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में गलत धाराएँ लगाने के चलते कोर्ट में रिमांड ही नही हो सका। नतीजतन पुलिस को बगैर रिमांड हुए ही मुल्जिमो को लेकर वापस लौटना पड़ा। ——-
पहला मामला हलियापुर थाना क्षेत्र के पिपरी गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले आरोपी लाल साहब उर्फ विक्रम सिंह के खिलाफ दो किलो 100 ग्राम गांजा बरामदगी का आरोप है। इस मामले के अलावा लाल साहब की लंबे अपराधों की फेहरिस्त है। लाल साहब को पुलिस ने गांजा बरामदगी के केस में कोर्ट में पेश किया। जिसकी रिमांड स्वीकृत कर अदालत ने उसे जेल भेजने का आदेश दिया। वही अन्य मामलों में कोर्ट ने आरोपियो को जेल भेजने का आदेश दिया है।—— वहीं हलियापुर थाने की पुलिस ने पीएम नरेंद्र मोदी व सीएम आदित्यनाथ योगी के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी करने के मामले में आरोपी मुन्ना उर्फ इमाम यावर हुसैन व हुड्डू उर्फ हजरत निवासीगण कस्बा हलियापुर को गिरफ्तार कर थानाध्यक्ष अरशद खान की पुलिस ने अदालत में पेश किया। आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने भादवि की धारा 504, 507 व 66-ए आईटी एक्ट की धारा लगाई है। मालूम हो कि आईटी एक्ट की 66-ए धारा मार्च 2015 में ही देश की सबसे बड़ी अदालत के जरिये असंवैधानिक करार दी जा चुकी है,यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के जरिये अपने इस फ़ैसले के बाद इस धारा में गिरफ्तारी करने वाले या धारा लगाने वाले पुलिस अधिकारी को मामला संज्ञान में लाने पर जेल भेजने की भी चेतावनी दी गई है। वह भी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आज का नहीं बल्कि करीब पांच वर्ष पहले का है,जिसके विषय मे जिम्मेदारो को पूर्ण जानकारी होना या कम से कम धारा लगाने के बाद कोर्ट में पेश होने के पहले पुलिस अधिकारियों को सम्बन्धित धाराओ के विषय में मानसिक तौर पर तैयार होना उनका दायित्व है,क्योंकि वहां न जाने कब,किस बिंदु पर कोर्ट सवाल पूंछ ले या फिर बचाव पक्ष का अधिवक्ता ही अपने मुवक्किल के डिफेंस में न जाने कब पुलिस की किस कमी को मुद्दा बना लें। वैसे भी रिमांड के लिए मुल्जिमो को कोर्ट में पुलिस अधिकारी अक्सर पेश करते रहते है,और उन्हें पता भी है किन-किन परिस्थितियों का सामना उन्हें कोर्ट में करना पड़ सकता है,फिर भी इतनी बड़ी चूक पुलिस अधिकारियों ने पीएम-सीएम से जुड़े मामले में कैसे कर दी ,यह अपने आप मे पुलिसिया कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर रहा है। इस मामले में लगी आईटी एक्ट की धारा का हाल यह है और इसके अलावा अन्य लगी धाराएं सामान्य प्रकृति की है। बावजूद इसके झूठी वाह-वाही लूटने के चक्कर में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ उल्टी-सीधी धाराएं लगाकर उन्हें अदालत में खड़ा कर दिया। फिलहाल वह रिमांड पर सुनवाई के दौरान उठे सवालों का जवाब नहीं दे सके। पुलिस को कड़ी फटकार भी सुननी पड़ी। इस बीच अपनी ही बात को सही साबित करने के चक्कर मे काफी देर तक अपने सलाहकारों से पुलिस राय मशविरा करती रही,लेकिन सफलता हाथ नही लगी। कड़ी मसक्कत के बाद भी अपनी ही कमी के चलते रिमांड न होता देख बौखलाई पुलिस आरोपियों का रिमांड कराने के बजाय कोर्ट से सुधार करने के बहाने भागने लगी और मुल्जिमो को लेकर वापस लौट गई। अब सवाल यह उठता है कि पीएम व सीएम से मामला जुड़ा होने के बाद भी पुलिस ने आखिर सुप्रीम कोर्ट से असंवैधानिक करार दी जा चुकी धारा को जानबूझकर लगा दिया या फिर अंजाने में। क्या पुलिस दिन-प्रतिदिन कानून में होने वाले संशोधन को लेकर तैयार नही रहती है,या फिर उसे सेटिंग-गेटिंग के कामो के आगे इन महत्वपूर्ण कार्यो के लिए फुरसत ही नही रहती। ऐसे ही कई सवाल पुलिसिया कार्यशैली पर खड़े हो रहे है जिसका जवाब पुलिस के पास नही है। अब इस मामले में चाहे पुलिस की लापरवाही मानी जाय या अनुभवहीनता,जिसके चलते पुलिस विभाग के अधिकारी केंद्र व राज्य की सरकार चलाने वाले के खिलाफ अभद्र टिपण्णी होने के बाद भी उससे जुड़े मुल्जिमो का रिमांड ही कराने में सफल नही हो सकी,नतीजतन आरोपियो को राहत मिल गई।अपनी ही करतूत के चलते हालियापुर पुलिस को इस मामले में बड़ा झटका लगा है और थाने की इन कार्यवाहियों की मॉनिटरिंग करने के जिम्मेदार थानाध्यक्ष की कार्यशैली पर भी सवाल उठा है। अब देखना है कि जिले के उच्चाधिकारी पीएम-सीएम के अपमान से जुड़े इस मामले को मामूली चूक समझ कर हजम कर ले जाते है,या फिर इस गलती
के जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिरती है,फिलहाल जो भी होगा,यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।