@अमेठी,रिपोर्ट-चंदन दुबे,तारीख-25/08/2020-एक तो कोरोनावायरस से फैली महामारी ऊपर से किसानों को उर्वरक के लिए मारामारी।जी हां पिछले 4 महीनों से लगातार कोरोनावायरस चलते एक तरफ जहां लोगों की कमर टूट चुकी है।लोगों का रोजगार छिन चुका है।बाहर कमा खा रहे लोग बीमारी के चलते अपने घर तथा गांव वापस आ चुके हैं।उनको यहां पर कोई काम नहीं मिल रहा है।किसी तरह से हो अपने आप को खेती बारी में व्यस्त किए हुए हैं।जिससे कम से कम खेतों में अन्न पैदा किया जा सके और उसी से ही चार पैसे प्राप्त हो सकें।लेकिन इन कामगारों इन किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है।अभी तक तो गांव से लेकर शहर तक घूम रहे आवारा पशु ही समस्या का कारण बने थे।लेकिन उसके बाद लगातार बढ़े डीजल के दाम जिसके चलते खेतों की जुताई तथा सिंचाई काफी महंगी हो गई है।किसी तरह से इन सब से निपट कर जब धान की खेती तैयार की जाने लगी तब किसानों को खेतों में डालने के लिए उर्वरक का संकट खड़ा हो गया।यह संकट ऐसा छाया कि इसके सामने कोरोनावायरस से फैली महामारी भी दम तोड़ती दिखी।यह भीड़ कहीं खाद्यान्न वितरण के लिए लाइन नहीं लगाई है।यह भीड़ तो अपने खेतों में अन्न पैदा करने के लिए अन्नदाताओं ने अमेठी कस्बे के सुल्तानपुर रोड स्थित इफको उर्वरक केंद्र पर लगा रखी है।जिनको ना कोरोना का डर है न उमस की चिंता।इनको अगर डर है तो अपने बर्बाद होते फसल की।इसीलिए बिना खाए पिए बिना मुंह पर मास्क लगाएं सुबह से लेकर शाम तक यह लाइन में लगे पड़े हैं।फिर भी इनको एक बोरी यूरिया खाद नहीं नसीब होती है और यह वापस चले जाते हैं।इसका सबसे बड़ा कारण यह है की जिले के तमाम साधन सहकारी केंद्र तथा उर्वरक केंद्रों पर यूरिया का अभाव है।इस समय किसानों को यूरिया खाद की नितांत आवश्यकता है।क्योंकि धान की फसल पीली पड़ती जा रही है।जिसके लिए किसान लगातार परेशान है।उसको परेशानी में कुछ भी नहीं दिखाई पड़ रहा है।ना तो कोविड-19 और ना ही अन्य कोई चीज।
-किसानों ने बताया कि हम सप्ताह भर से लगातार चक्कर काट रहे हैं। लेकिन हमको खाद नहीं मिल पा रही है।नरैनी से आए उदय राज यादव ने बताया कि हम 3 दिन से यहां पर आ रहे हैं।जब तक मेरा नंबर आता है तब तक पता चलता है कि यहां पर खाद ही खत्म हो गई है।अब आएगी तो मिलेगी मेरे पास 7 बीघा जमीन है और मुझ को 8 बोरी खाद की आवश्यकता है। फसल की स्थिति अच्छी है कि यदि खाद मिल जाती है तो फसल और भी अच्छी हो जाएगी। एक किसान ने तो बताया कि हम 6 दिन से आ रहे हैं।3 दिन पहले खाद आपूर्ति ही नहीं और जब खाद आई तो पता चला कि यहां पर नंबर से मिलेगी जब मैंने नंबरिंग कराया तो मुझे 101 नंबर मिला।मेरा नंबर नहीं आया लेकिन 176 नंबर वाले की खाद निकल रही थी । यहां पर एक एक आदमी दस दस आधार कार्ड लेकर आता और खाद लेकर चला जाता है और पब्लिक लाइन लगाकर खड़ी रहती है।वहीं पर शिवम सिंह ने बताया कि यहां पर मैं 5 दिन से लगातार नंबर लगा रहा हूं।शाम तक लिस्ट गायब हो जाती है और यह दिनचर्या लगातार बनी है। यह हमारे अमेठी के अच्छे दिन आ चुके हैं हमें लग रहा है कि अब हम लोगों को खाद भी नसीब नहीं होगा।हम लोग पढ़ाई लिखाई छोड़ कर के यहीं पर लाइन लगाएंगे और धरना देंगे।इसके अलावा हमारे अच्छे दिन और नहीं आ सकते हैं।इसी में हम लोगों की पढ़ाई डिस्टर्ब होगी तथा कोरोना काल में यह ऐसी स्थिति बनी है की भीड़ पर भीड़ लगी हुई है।जहां बारात में 50 आदमी से अधिक इकट्ठे नहीं हो सकते यहां पर तो एक साथ 500 लोग इकट्ठे हैं।यहां पर एसडीएम आए और रोड से चले गए उनको इस बात की चिंता नहीं है कि कोरोना के संकट में यह स्थिति बनेगी तो कितने मरीज बढ़ेंगे ?इस तरीके से अगर प्रशासन काम करेगा तो इस देश का पता नहीं क्या होगा ? यहां पर प्रशासन की भी कमी है और बांटने वालों की संख्या बढ़ाई जाए तथा कृषि केंद्रों पर गांव गांव खाद उपलब्ध कराई जाए।तमाम कृषि केंद्रों पर खाद उपलब्ध ही नहीं है नहीं तो यह स्थिति नहीं बनती