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आयुर्वेद की कीर्ति को फैलाता अजीत आरोग्य केंद्र-देल्हूपुर
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रिपोर्ट अद्वैत दशरथ तिवारी
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प्रतापगढ़। बदलती जीवनशैली और आपाधापी के इस दौर में मानव जीवन के स्वास्थ्य में उत्तरोत्तर क्षरण होता जा रहा है।मानव अनेक गंभीर रोगों का शिकार हो रहा है। इससे अनेक ऐसे प्रकरण सामने आये हैं, जिनमें चिकित्सक द्वारा समस्या की जड़ को न पहचान पाने तथा सर्जरी की आतुरता ने समस्या को लाइलाज बना दिया है। शारीरिक, आर्थिक व मानसिक रूप से निराश हो कर गैर एलोपैथी विधाओं में जाते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि अधिकांश मामलों में इसमें परिणामपरक समाधान नहीं मिलता। मैंने जिन मरीजों से बात की उनमें से लगभग सभी की व्यथा थी कि नामी गिरामी एलोपैथी चिकित्सालय में अनगिनत खर्च करने के बाद भी समाधान नहीं मिला।ऐसी धारणा है कि आयुर्वेद धीरे धीरे प्रभावी होता है। जटिल रोगी को तुरंत राहत चाहिए।इस लिए एलोपैथी से इलाज कराना पड़ता है। मैंने आयुष इंटरनेशनल मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य वैद्य एडी तिवारी से चर्चा की। उन्होंने बताया कि रोगी को तत्काल राहत की आवश्यकता होती है। रोगियों का इलाज आयुर्वेद से ही करता हूं। एलोपैथी का प्रयोग कभी भी नहीं करता और न कभी भी किया।कुछ पैथालॉजी जांच करवाता हूं। अत्यधिक जटिल होने पर भी रोगी को विश्वास में लेकर चिकित्सा प्रारंभ करता हूं ।ऐसे कई मामले में सफलता प्राप्त हुई है। दृढनिश्चयी, भारतीय आधारित जीवन पद्धति के अनन्य उपासक आचार्य वैद्य को संस्कृत का ज्ञान परिवार परम्परा और ब्रह्मलीन पंडित जगत नारायण वैद्य से प्राप्त हुआ है।समीचीन होगा कि सरकारें आयुर्वेद पर आधारित चिकित्सक, पंचकर्म विशेषज्ञ,पैरा स्टाफ सुनिश्चित करें। इससे जहां एक तरफ जन सामान्य को कम खर्चीली व गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा मिलेगी वहीं दूसरी ओर प्रर्यावरण संरक्षण के साथ ही मानव रोजगार का सृजन भी होगा।यह भी कहा जा सकता है कि आक्रान्ताओं की चिकित्सा पद्धति एलोपैथी के प्रसारण,प्रचारण और अवबोधन तथा भारतीय चिकित्सा के अवमूल्यन के कारण ही भारत का स्वास्थ्य बिगड़ गया। “सर्वे सन्तु निरामयाः” को आत्मसात करता यह प्रकल्प चिकित्सा के मानदंडों को स्थापित करने के साथ ही साथ निराश मनों में नवजीवन का उत्साह संचारित करेगा।