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#सुल्तानपुर-फर्जीवाड़े के आरोपी प्रबंधक को एसटीएफ ने किया अरेस्ट, बाद में छोड़ा

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फर्जीवाड़े के आरोपी प्रबंधक को एसटीएफ ने किया अरेस्ट, बाद में छोड़ा

हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत आदेश की पुष्टि होने पर पुलिस से मिली राहत

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फर्जी मान्यता प्राप्त कर तीन विद्यालयों की आड़ में लाखों हड़पने का है आरोप

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चार दिन पूर्व सीजेएम कोर्ट से जारी हुआ था एनबीडब्ल्यू,जिस पर हुई थी गिरफ्तारी

रिपोर्ट-अंकुश यादव

सुलतानपुर। फर्जीवाड़ा कर विद्यालयों के नाम पर लाखों हड़प लेने के गम्भीर आरोपों से घिरे प्रबंधक के खिलाफ प्रकरण की जांच कर रहे एसटीएफ टीम ने सीजेएम कोर्ट से गिरफ्तारी आदेश प्राप्त किया। जिसके बाद टीम ने प्रबंधक के घर पहुंचकर उसे हिरासत में लिया, लेकिन हाईकोर्ट से आरोपी प्रबंधक को अग्रिम जमानत मिलने व आर्डर वेबसाइट पर लोड न होने की पुष्टि होने पर एसटीएफ टीम ने पूछतांछ की प्रक्रिया पूरी कर उसे छोड़ा। फिलहाल विद्यालयों के फर्जी संचालन की आड़ में विधायक निधि समेत अन्य मदों से बड़ी रकम हड़पने वाले प्रबंधक को एसटीएफ टीम के जरिए हिरासत में लिए जाने से मामला काफी चर्चा में रहा।
मालूम हो कि चांदा थाना क्षेत्र के कोथरा कला गांव के रहने वाले आरोपी संतोष कुमार सिंह ने विभागीय अधिकारियों से सेटिंग-गेटिंग कर फर्जी तरीके से तीन विद्यालयों की मान्यता प्राप्त कर ली। जब कि लगे आरोपों के मुताबिक इन विद्यालयों का धरातल पर कोई अस्तित्व ही नहीं है। यह विद्यालय जिले के जिम्मेदार अफसरों की मिली-भगत से एक दशक से भी अधिक समय तक चलता रहा और फर्जी विद्यालयों की आड़ में सांसद, विधायक एवं अन्य निधियों से माननीयों के रहमो-करम से सहायता राशि भी मिलती रही। जिसे प्रबंधक ने कागजों पर ही वारा-न्यारा कर हड़प लिया। इसके अलावा फर्जी विद्यालयों पर फर्जी इंट्री कर चल रहे बच्चों के नाम पर करीब 70 लाख रूपए छात्रवृत्ति की रकम भी हड़प ली गयी। यह खेल वर्षोें से चलता रहा, जिसका खुलासा होना भी आसान नहीं था। बताया जा रहा है कि आरोपी प्रबंधक संतोष सिंह के भाई ने ही इस फर्जीवाड़े के खेल के सम्बंध में तत्कालीन बीएसए एवं अन्य जिम्मेदार अफसरों से शिकायत की, लेकिन आरोपी प्रबंधक की पहुंच व सेटिंग-गेटिंग के बल पर काफी समय तक इस मामले को दबाया जाता रहा। डीएम सी. इन्दुमती के कार्यकाल में भी यह मामला काफी चर्चा में रहा। जिसमें शिकायत कर्ता की पैरवी एवं प्रकरण सुर्खियों में आया तो कार्यवाही की रफ्तार भी बढ़ी। इसी बीच लम्भुआ विधायक देवमणि द्विवेदी के जरिए तत्कालीन डीएम सी. इन्दुमती पर प्रबंधक संतोष कुमार सिंह की पैरवी भी करने का मामला चर्चा में आया था। फिलहाल इस मामले में जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद तत्कालीन डीएम के आदेश पर आरोपी प्रबंधक के खिलाफ गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। पहले इस प्रकरण की तफ्तीश कोतवाली नगर के एसएसआई सीताराम यादव को मिली, लेकिन जिले की पुलिस पर आरोपी संतोष कुमार सिंह का अनुचित प्रभाव होने का आरोप लगने की वजह से प्रकरण एसटीएफ लखनऊ की टीम को ट्रांसफर कर दिया गया। मिली जानकारी के मुताबिक संतोष सिंह ने मामला गरमाने पर गिरफ्तारी से बचने के लिए सेशन कोर्ट की शरण ली थी, लेकिन मामला गम्भीर होने के चलते उन्हें राहत नहीं मिली। जिसके पश्चात प्रबंधक संतोष सिंह ने हाईकोर्ट की शरण ली। फिलहाल उन्हें बीते 25 नवम्बर तक किसी प्रकार की राहत नहीं मिली थी। जिसके आधार पर प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए मौजूद साक्ष्यों के आधार पर एसटीएफ टीम के उपनिरीक्षक ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरीश कुमार की अदालत से संतोष कुमार सिंह के खिलाफ गैर जमानतीय वारंट प्राप्त किया था और उसी के आधार पर प्रबंधक की गिरफ्तारी कर ली,जिसे कोतवाली नगर लाया गया। पूछतांछ के दौरान पता चला कि बीते 26 नवम्बर को प्रबंधक की अर्जी पर हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत स्वीकार हो गयी है, लेकिन वेबसाइट पर आदेश अपलोड नहीं हो पाया। जिसके पश्चात मामला फंसने पर प्रबंधक संतोष कुमार सिंह ने अपने अधिवक्ता रणजीत सिंह त्रिसुंडी के माध्यम से हाईकोर्ट में हुए आदेश की पुष्टि कराई एवं मिली अग्रिम जमानत के विषय पर ईमेल कर आईजी एसटीएफ समेत अन्य को पत्र भी भेजा। जिसके पश्चात हाईकोर्ट से हुए आदेश की पुष्टि होने पर प्रबंधक को पुलिस हिरासत से छोड़ा गया। बताया जा रहा है कि एसटीएफ टीम को हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी ही नहीं थी, जिसके चलते उन्होंने बगैर सोचे-समझे प्रबंधक को हिरासत में ले लिया गया। नगर कोतवाल भूपेन्द्र सिंह ने प्रबंधक को एसटीएफ टीम के जरिए गिरफ्तार किए जाने एवं उसे हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत आदेश के आधार पर छोड़े जाने की पुष्टि की है। इस गम्भीर मामले में प्रबंधक के अलावा अन्य लोगों की भी संलिप्तता बताई गयी है। जिसके सम्बंध में अभी तक जांच टीम कोई कार्यवाही नहीं कर सकी है। इस प्रकरण के सम्बंध में मुख्यमंत्री लेवल पर भी प्रबंधक के अलावा उन्हें संरक्षण देने वाले लम्भुआ विधायक समेत अन्य की भूमिका की जांच कर कार्यवाही की मांग की गई है, लेकिन अभी मामला ठण्डे बस्ते में है।

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