मंगलाचरण जी महाराज सर्वसम्मत से बने महंत
नहीं रहे कर्म योगी परमा महाराज शनिदेव धाम के महंथ ब्रह्मलीन
मंगलाचरण जी महाराज सर्वसम्मत से बने महंत
प्रतापगढ़। (अद्वैत दशरथ तिवारी)। जिले के कुशफरा जंगल में स्थति शनिदेव धाम के संस्थापक प्रेम चंद मिश्रा उर्फ परमा महराज के ब्रह्मलीन होने से केवल प्रतापगढ़ ही नहीं बल्कि आस पास के कई जिलों के श्रद्धालुओं ने परमा महराज को श्राद्धांजलि दी है। उनके ब्रह्मलीन होने पर एक अपूर्णीय क्षति हुई है।इस नश्वर संसार का नियम ही आना जाना है।लोग आते है और चले जाते है किंतु कुछ ऐसे लोग भी होते है जिनके जाने के बाद उनकी स्मृतियां हमारे जेहन में हमेशा के लिए सुरक्षित रह जाती है।प्रेम चंद्र मिश्र उर्फ परमा महाराज भी ऐसे लोगों में से एक थे जिन्हें भुला पाना सहज संभव नही है।उनके न रहने के बाद भी शनिदेव भक्तों में ही नही,समूचे जनपद के लोगो में उनकी यादें हमेशा अवशेष रहेंगी। महंथ परमा महाराज जी भगवान शनिदेव के अनंन्य उपासक ही नही बल्कि विलक्षण व्यक्तित्व,मृदुभाषी,व कठोर साधक थे।उनका समूचा जीवन ही विविधताओं से भरा हुआ था।बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी प्रेम चंद्र मिश्र मांधाता विकास खंड के जलालपुर ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान भी रह चुके थे।तीन दशक पूर्व वह जिले के माने जाने ठेकेदार तथा जन प्रिय नेता भी थे।उस समय किसी ने इस बात की कल्पना भी नही किया था कि राजनीति की क्षितिज पर मौजूद एक कुशल राजनेता अचानक अपने जीवन की धारा को बदल कर वैराग्य धारण कर लेगा।शनिदेव मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए हम लोगों के साथ काम शुरू करते समय किसी ने कल्पना भी नही किया था कि कर्मयोगी प्रेमचंद्र मिश्र ने मंदिर निर्माण के साथ साथ ही बकुलाही नदी के आसपास के गावों के काया कल्प करने का भी संकल्प ले लिया है।अपने साथियों तथा आस पास के ग्रामीणों को लेकर उन्होंने मंदिर तथा क्षेत्रीय विकास का जो खाका खीचा उसे अमली जामा पहनाने के लिए उन्हें अपना व्यवसाय, परिवार तथा राजनीति तक छोड़ना पड़ा। विश्वनाथगंज बाजार से दो किलोमीटर पूरब कुशफरा के जंगल में एक साधक की भांति धूनी रमाकर बैठ गए।उनके मार्गदर्शन में मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ और देखते देखते शनिदेव का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया। उन्होंने अपने संगठन शक्ति तथा राजनैतिक पकड़ का इस्तेमाल करते हुए न केवल बकुलाही नदी पर पुल का निर्माण कराने के साथ साथ क्षेत्र के कई दर्जन गावो के लोगों को बकुलाही नदी के अभिशाप से मुक्त कराया। विश्वनाथगंज से सीधे पृथ्वीगंज और रानीगंज तक सडक का निर्माण कराकर लोगो को यातायात की सुविधा भी मुहैया कराई।उनकी कठोर साधना का परिणाम है की आज देश के कोने कोने से शनिभक्त शनिदेव धाम पर दर्शन के लिए आ रहे है ।ऐसे युग पुरुष धरती पर बार बार जन्म नही लेते।श्रध्देय परमा महाराज के निधन से समूचे जनपद की एक अपूर्णनीय क्षति हुई है ।जिसकी पूर्ति सहज संभव नही है।उनके ब्रह्मलीन होने की खबर मिलते ही हजारों की संख्या में जाति, धर्म, सम्प्रदाय के बंधन को तोड़ते हुए शनिदेव धाम से लेकर उनके जन्मभूमि तक सात किलोमीटर तक सिर्फ जन समूह ही दिखाई दे रहा था। जन समूह को देखते ही जिला प्रशासन ने सुरक्षा की समुचित व्यवस्था कर दी। प्रयागराज के दशासुमेध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।परमा महराज के ब्रह्मलीन होने पर सांसद संगम लाल गुप्ता, विधायक धीरज ओझा, विधायक आरके वर्मा, भाजपा प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष अवधेश शर्मा, भाजपा नेता कुंदन सिंह, प्रमुख अजय सिंह, पत्रकार विद्याचरण मिश्रा, पत्रकार अद्वैत दशरथ तिवारी, गायत्री परिवार के चंद्रिका प्रसाद सिंह,यज्ञ कुमार सिंह,अजय कुमार सिंह, राम प्रकाश पाण्डेय, प्रर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी, राघवेन्द्र प्रकाश ओझा,लल्लू तांत्रिक,सिद्धार्थ पांडेय, आलोक पाण्डेय, समाजसेवी अधिवक्ता बीपी तिवारी, जांबाज हिन्दुस्तानी के आलोक आजाद,अतींद्र तिवारी आदि संवेदना व्यक्त किया है।सर्वसम्मत से समाजसेवी तथा लावारिस लाशों के तारणहार मंगलाचरण जी महाराज को शनिदेव धाम का महंत मनोनयन किया गया।उन्हीं के प्रयास में कुशफरा जंगल में मंगल हो गया। केंद्र व राज्य सरकार के मंत्री, राज्यपाल, सांसद , विधायक सभी का आवागमन हमेशा बना रहा। ऐसे महामानव का जाना हमारा खलता रहेगा।