#सुल्तानपुर-गुरु गोबिंद सिंह के चारों साहिबजादों और दादी माता गुजर कौर की शहादत को सुलतानपुर के सिख समाज के लोगो ने किया नमन।
– मुगलिया हुकूमत के जुल्मों सितम के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर करने वाले गुरु गोबिंद सिंह के चारों साहिबजादों और दादी माता गुजर कौर की शहादत को सुलतानपुर के सिख समाज के लोगो ने किया नमन।
V/O- बताते चलें कि सुल्तानपुर गुरुद्वारा की ओर से शहीदी सप्ताह का आयोजन किया गया। इस दौरान लोगों को सिख समाज के स्वर्णिम इतिहास से रूबरू कराया जाएगा। नौ दिनों तक सिख समाज ने कोई खुशी नहीं मनाई। धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर ने अपना बलिदान दिया। उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत की आन-बान और शान के लिए चारों साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह, सिंह और उनकी दादी माता गुजर कौर ने अपना बलिदान दिया।अजीत सिंह और जुझार सिंह मुगलों के साथ युद्ध करते शहीद हुए। उन्होंने गुरुवाणी की पंक्ति ‘सूरा सो पहचानिए। जो लरै दीन के हेत, पुरजा-पुरजा कट मरै, कबहू ना छाडे खेत’ को सच किया। जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम कबूल नहीं करने की वजह से जिंदा दीवार में चुनवा दिया। उनकी दादी मां गुजर कौर को किले के ऊंचे बुर्ज से धक्का देकर शहीद कर दिया गया। इस तरह देश और धर्म की रक्षा में गुरु गोबिंद सिंह महाराज का सारा परिवार शहीद कर दिया गया। सिख समाज इन महान शहीदों के महान बलिदान के सामने नतमस्तक होते हुए कोई खुशी नहीं मनाता है| शहीदी पर्व मे आए अमृतसर से धर्म प्रचारक ज्ञानी सतवंत सिंह खालसा जी ने संगत को सिख इतिहास से रूबरू कराया।
बाइट- सुधीप पाल सिंह (सचिव गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सुल्तानपुर)