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#सुल्तानपुर-स्वर्ग से उतर कर महिला ने कर दिया बैनामा,परिवार वालो को जरा सी नही लगी भनक?।

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स्वर्ग से उतर कर महिला कर रही बैनामा

रिपोर्ट हेमंत निषाद

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सुल्तानपुर। राजस्व कर्मियों का अधिकारियो से ही नहीं बल्कि यमराज से भी गहरा नाता होने का प्रमाण मिला हैं। जी हाँ चौंकिए नहीं जयसिंहपुर रजिस्ट्रार कार्यालय में एक महिला सीधे स्वर्ग से उतर कर बैनामा करके चली गई। और उसके परिवार वालो को जरा सी भनक तक नहीं लगी।

मामला जनपद के जयसिंहपुर क्षेत्र के ग्राम परसा का सामने आया है। अमर बहादुर पुत्र जग्गू ने पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर को शिकायत पत्र लिखा की उसके चाची के मृत्यु के दस दिन बाद उसकी खतौनी का बैनामा हुआ।

     पीडित अमर बहादुर ने बताया कि हमारे चाचा रघुनाथ की कोई सन्तान नही थी। रघुनाथ की मृत्यु के पश्चात समस्त चल अचल संपत्ति इनकी चाची सुखराजी के नाम राजस्व अभिलेखों में असंक्रमणीय भूमिधर के रूप में स्थानांन्तरित हुई। दिनांक 15-06-2015 को चाची सुखराजी की मृत्यु हो गई। सुखराजी की समस्त चल अचल सम्पत्ति गाटा स0 543 मि0 रकबा 0.0600हे0, गाटा स0 12ग रकबा 0.0460हे0, गाटा स0 12घ रकबा 0.0470 हे0, गाटा स0 370 मि0 रकबा 0.0440 हे0 स्थित ग्राम परसा प्रार्थी अमर बहादुर , अर्जुन पुत्रगण जग्गू व यदुनाथ, श्री पुत्रगण कटोके के नाम वरासतन राजस्व अभिलेख में स्थानांन्तरित होकर दर्ज हो गई। 

पीडित का आरोप है कि वर्णित गाटों की उद्धरण खतौनी जब निकलवाया तो दिनांक 20-02-2020 को तहसीलदार जयसिंहपुर महोदय के आदेशानुसार बैनामे के आधार पर दिनांक 26-02-2020 को बैनामेदार श्रीमती मालती देवी निवासी ग्राम जजवारा पश्चिम राठ तहसील व थाना बीकापुर जिला अयोध्या के नाम खेतौनी दर्ज हो गयी है। जिसे देख प्रार्थी दंग रह गया। प्रार्थी ने जब रजिस्ट्री ऑफिस से बैनामे की नकल लिया तो बैनामे देखकर उसके होश उड़ गए।

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प्रार्थी की मृतक चाची सुखराजी की मृत्यु जब 15-06-2015 को हो चुकी है। तो मृत्यु के दस दिन बाद स्वर्गीय चाची सुखराजी ने 25-06-2015 को स्वर्ग से आकर कैसे बैनामा लिख दिया। ऐसे कई प्रश्न उठ रहे है।

रजिस्ट्री ऑफिस की भूमिका संदिग्घ

रजिस्ट्री ऑफिस जयसिंहपुर के कर्मचारियों भी कुछ कम नही है। इनकी भी भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध ही है। मृतक सुखराजी को पति की मृत्यु के पश्चात मिली जमीन असंक्रमणीय थी तो इसका बैनामा बिना किसी जांच पड़ताल के कैसे कर दिया गया। और एक मृत महिला अपने मृत्यु के दस दिन बाद कैसे आकर बैनामा कर सकती है। कही न कही रजिस्ट्री आफिस और तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से कूटरचित बैनामा करवाकर खारिज दाखिल भी करवा दिया गया। यह खेल अधिकारीयों से लेकर कर्मचारियों तक की मिली भगत के बिना सम्भव नहीं है।

रजिस्टार ने कहा-

रजिस्टार जयसिंहपुर देबेन्द्र प्रसाद ने बताया कि असंक्रणमणीय जमीन का बैनामा बगैर उपजिलाधिकारी के आदेश के बिना नहीं हो सकता है। यदि ऐसा हुआ है तो देखना पड़ेगा किन स्थितियों में हुआ। पुराना बैनामा है जाँच के बाद ही सारी स्थित स्पस्ट होगी।

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