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बनने गए थे चौबे बन के लौटे छब्बे,पर्चा दाखिल किया बीडीसी का प्रत्याशी बना दिया ग्राम पंचायत सदस्य का ,देखे पूरी रिपोर्ट।

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बनने गए थे चौबे बन के लौटे छब्बे,पर्चा दाखिल किया बीडीसी का प्रत्याशी बना दिया ग्राम पंचायत सदस्य का ,देखे पूरी रिपोर्ट।

वही इस पूरे प्रकरण पर ऊसर भूमि संरक्षण अधिकारी एवं खंड विकास अधिकारी सदर तुलसीराम का कहना है कि इस संबंध में जो भी जानकारी देंगे वह आरओ ही जानकारी देगे। वैसे जानकारी के लिए बता दें कि उम्मीदवार को संबंधित कक्ष में ही अपना नामांकन पत्र जमा करना चाहिए था।

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मुजफ्फरनगर जिले से एक बड़ी सूचना निकल कर आ रही है। यहां तो कुछ अजग गजब ही खेल हो गया कहावत है गए थे चौबे बनने ,बन के लौटे छबब्बे, पर्चा भरा बीडीसी का प्रत्याशी बना दिये गए ग्राम पंचायत सदस्य का।
मामला मुजफ्फरनगर जिले के सदर ब्लाक क्षेत्र के गांव शेरनगर का है जहां की निवासी महिला प्रत्याशी ने नामांकन पत्रों की जांच पर सवाल खड़े कर दिए हैं।और साथ ही साथ गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उसके पति ने बीडीसी के लिए काउंटर पर नामांकन पत्र जमा किया था, लेकिन जब जांच कर पर्चा दिया गया तो उसे ग्राम पंचायत सदस्य का प्रत्याशी बना दिया गया। इस बात की जानकारी मिलते ही पति पत्नी व उसके समर्थकों ने सदर ब्लाक पहुंच कर विरोध करते हुए हंगामा किया,हंगामा करता देख तो उसके पति का नामांकन ही निरस्त कर दिया गया। थकहार कर पीडिता अपने पति के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची, वहां पहुँचने पर पता लगा कि जिलाधिकारी ही नही है सोचा कि जब उसकी मुलाकात डीएम से नही हो पाई है तो लाओ एडीएम वित्त से ही मुलाकात कर के अपनी ब्यथा सुनाये लेकिन वहाँ भी साहब से मुलाकात नहीं हो पायी। अब इस बात की शिकायत पीड़िता ने चुनाव आयोग को देने की बात कही है।

मिथलेस रानी ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले की शिकायत वह चुनाव आयोग से करेगी।

नामांकन किया था बीडीसी का प्रत्याशी बन गए,गांव के सदस्य का।

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बताते चलें कि गांव शेरनगर निवासी मिथलेश रानी ने ग्राम पंचायत सदस्य के चुनाव को लेकर सदर ब्लाक में अपने समथकों के साथ नामांकन किया था। वहीं उसके पति प्रवीण कुमार ने बीडीसी के लिए नमांकन किया था।जानकारी देते हुए मिथलेश रानी ने बताया कि हम पति पत्नी दोनों ने नामांकन सदर ब्लाक में ग्राम पंचायत सदस्य कक्ष में जमा कर दिया। और यह गलती उनसे अनजाने में हो हुई है, लेकिन जब नामांकन पत्रों की जांच हो रही थी तो उस दौरान जांच कर रहे अधिकारियों ने भी लापरवाही की है। उन्होंने बताया कि नमांकन पत्रों की जांच करते हुए जांच अधिकारियों ने उसके पति प्रवीण कुमार को BDC की जगह ग्राम पंचायत सदस्य प्रत्याशी बना दिया।

अधिकारयों ने आनन फानन में ही उसके पति के नामांकन को किया निरस्त।

इस बात का जब विरोध मिथलेस रानी व प्रवीण कुमार अपने समर्थकों के साथ ब्लाक पहुंच कर अधिकारियों से की तो चुनाव में लगे अधिकारयों ने आनन फानन में ही उसके पति के नामांकन को निरस्त कर दिया। मिथलेस रानी ने आरोप लगाते हुए बताया कि उसके नामांकन पत्रों की जांच में लापरवाही बरती गई है पहले उसी पेपर पर ग्राम पंचायत सदस्य का प्रत्याशी घोषित किया गया और बाद में मेरे पति प्रवीण कुमार के नामांकन को बिना किसी गलती के निरस्त कर दिया गया है। जो पूर्णतः गलत है ।

एक फर्जी शिक्षक के चक्कर मे असली अध्यापक की कई महीने से रुका वेतन, बस्ती और सुल्तानपुर जनपद से जुड़ा है मामला,देखे पूरी रिपोर्ट।

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