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अस्पताल के कमरों में भूसे उपले और फसलों के खर पतवार जा रहे हैं रखे,कहाँ का है पूरा मामला, देखे रिपोर्ट।

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-स्वास्थ्य मंत्री के प्रभार वाले सुल्तानपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे है। जिन अस्पतालों को ग्रामीणों के इलाज के लिये वर्षो पहले बनवाया गया था अब उस अस्पताल को खुद की ही इलाज की जरुरत पड़ गई है। मुख्य बिल्डिंग को छोड़ दिया जाय तो इस अस्पताल के बाकी कमरों में भूसे उपले और फसलों के खर पतवार रखे जा रहे हैं। अन्य कमरों में टूटी फर्श और बारिश में छत से पानी टपकना यहां आम बात है। पिछले 4 साल से यहां डॉक्टर की तैनाती ही नही है , कोरोना महामारी के दौरान आस पास के गांव में दर्जनों लोगों की इसके सिम्टम्स से मौत के बाद भी यहां केवल एक फार्मासिस्ट के भरोसे ही हज़ारों की आबादी के इलाज का जिम्मा है। देखिये खास रिपोर्ट…..

ये नजारा है लंभुआ विधानसभा के शिवगढ़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का। 1992 में तत्कालीन कारागार एवं राजनीतिक पेंशन राज्यमंत्री उमानाथ सिंह ये सोचकर इसका उद्घाटन किया था कि ग्रामीण इलाकों के लोगों को इलाज के लिये दूर न जाना पड़े। लेकिन उनकी सोच से बिल्कुल उलट ये अस्पताल आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में यहां आस पास के कई गांव में दर्जनों लोगों की कोरोना सिम्टम्स से मौत हुई,लेकिन तब भी स्वास्थ्य महकमे ने यहां ध्यान नही दिया। हाल ये है कि पिछले 4 साल से यहां किसी भी डॉक्टर की तैनाती नही है। कहने को यहां केवल एक फार्मासिस्ट रखे गए है तो आस पास के दर्जनों गांव के हज़ारों लोगों का इलाज कर रहे हैं। ऐसे में तात्कालिक इलाज के लिये लोगों को लंभुआ,जिला अस्पताल या फिर प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करने को मजबूर हैं।

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बाइट- सूर्य सेन सिंह-ग्रामीण
बाइट- प्रदीप कुमार- ग्रामीण


4साल से किसी #डॉक्टर की नही हुई तैनाती,इलाज करने वाला #अस्पताल खुद बना #बीमार,#कोरोनोमहामारी ने पोल

भले ही इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण लोगों के इलाज के लिये किया गया हो लेकिन जब अस्पताल खुद बीमार हो तो लोगों का इलाज कैसे हो। इस अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग को छोड़ दिया जाय तो अन्य भवनों की दुर्दशा देख आप भी दांतो तले उंगली दबा लेंगे। यहां बने कमरों में गांव के लोगों कब्जा है। कुछ कमरों में जहां भूसे और खर पतवार रखे गए हैं तो अन्य कमरों को उपलों के लिये सुरक्षित कर लिया गया है। हाल ये है कि ज्यादातर कमरों की फर्श टूट चुकी है और तो और हल्की बारिश में ही कमरों में पानी रिसने लगता है।

बाइट-अनूप मौर्य-ग्रामीण
बाइट-शक्ति-ग्रामीण

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ऐसा नही है कि इस बीमार अस्पताल के लिये लोगों ने प्रयास न किया हो, सूबे के स्वास्थ्य और जिले के प्रभारी मंत्री जय प्रताप सिंह, सांसद मेनका गांधी,विधायक देवमणि द्विवेदी सहित तमाम जनप्रतिनिधियों से कई बार डॉक्टरों की तैनाती और अन्य व्यवस्थाओं के लिये कहा गया लेकिन हैरानी की बात तो ये रही कि किसी ने भी इसकी सुध नही ली।

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