सुल्तानपुर-सदरविधानसभा में अरुण वर्मा ने मीडिया से की मुलाकात, बताया जीतने का मंत्र,वही भगेलूराम का चल रहा हैं जनसंपर्क।
सुल्तानपुर-सदरविधानसभा में अरुण वर्मा ने गुरुवार को मीडिया से की मुलाकात, बताया जीतने का मंत्र,वही भगेलूराम का चल रहा हैं जनसंपर्क।दो दिन बचा है मतदान को 27 फरवरी को होना है मतदान।।
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सुल्तानपुर-सदरविधानसभा में अरुण वर्मा ने मीडिया से की मुलाकात, बताया जीतने का मंत्र,वही भगेलूराम का चल रहा हैं जनसंपर्क।
सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट की छोटी छोटी हाइलाइट खबर देखे।
सदर सीट पर अनुसूचित जाति का दबदबा
सुल्तानपुर सदर सीट पर अनुसूचित जाति का दबदबा रहा है। इस जाति वर्ग से करीब 74 हजार मतदाता उम्मीदवार के भाग्य तय करते हैं। इसके अलावा यहां करीब 68 हजार ब्राह्मण वोट भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। मुस्लिम के 45 हजार, कुर्मी के 44 हजार, अन्य के करीब 40 हजार, क्षत्रिय के 35 हजार और यादव के 32 हजार वोट उम्मीदवारों की जीत में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
सुल्तानपुर-विधानसभासदर क्षेत्र में आज रहा के.डी न्यूज़,सपाप्रत्याशी अरुणवर्मा से हुई मुलाकात, कई तीखे सवालों का का अरुण वर्मा ने दिया जबाब।
सुल्तानपुर
सुल्तानपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता विधायक नहीं चुनते हैं, बल्कि वे उस दल पर मुहर लगाते हैं जो प्रदेश की सत्ता संभालेगी। यह मान्यता चुनाव दर चुनाव गहरी होती जा रही है। कहा तो यहां तक जाता है कि जिस दल ने सदर सीट जीती, वही यूपी की गद्दी संभालता है। इसलिए, तमाम चुनावी रणनीतिकार इस सीट पर कब्जे का प्रयास करते हैं। रणनीति तैयार करते हैं।
सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट को लेकर तमाम राजनीतिक दलों में एक होड़ रहती है। इसका कारण है एक मान्यता। माना जाता है कि इस सीट को जीतने वाली पार्टी ही लखनऊ में सरकार बनाती है। चुनावी रणनीति तैयार करने वाले भी इस सीट को खास महत्व देते हैं। इसलिए, एक बार फिर सदर विधानसभा सीट हॉट सीट के रूप में चर्चा के केंद्र में है।
सुल्तानपुर सदर सीट का ऐसा तिलिस्म है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव अभियान का आगाज तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यहां से किया था। हालांकि, पार्टी को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा को सीट मिली और लखनऊ में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी। एक बार फिर इस सीट पर भाजपा के साथ-साथ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की ओर से जोर-आजमाइश शुरू कर दी गई है।
विधानसभा सीट का नाम वर्ष 2009 में सुल्तानपुर सदर हो गया। परिसीमन से पहले इसका नाम जयसिंहपुर विधानसभा सीट हुआ करता था। जयसिंहपुर विधानसभा सीट को जीतने वाले दल ही सरकार बनने का जो तिलिस्म था, समय के साथ आगे बढ़ता रहा। इससे पहले वर्ष 1989 के चुनाव में इस सीट पर जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की और उनकी लखनऊ में सरकार बनी। वर्ष 1991 में जयसिंहपुर सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया और प्रदेश में पार्टी की सरकार बनी।
सदर विधानसभा सीट के मतदाताओं के बारे में कहा जाता है कि वे सत्ता की लहर को भांपने में एक्सपर्ट हैं। इसी आधार पर अपना वोट करते हैं। पिछले तीन दशकों के चुनाव परिणाम इसी तरफ इंगित करते हैं। वर्ष 1993 में इस सीट से सपा ने जीत दर्ज की। वहीं, वर्ष 1996, वर्ष 2002 और वर्ष 2007 के चुनाव में इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का कब्जा रहा। इस दौरान बसपा लखनऊ में सत्ता के केंद्र में रही। वर्ष 2012 में एक बार फिर यह सीट समाजवादी पार्टी के पाले में आई और प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनी।
त्रिकोणीय मुकाबले में जीती भाजपा
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को यहां जीत मिली। हालांकि, मुकाबला त्रिकोणीय रहा। भाजपा प्रत्याशी पूर्व पीसीएस पदाधिकारी सीताराम वर्मा ने इस सीट से 18,773 वोटों से जीत दर्ज की। उन्हें करीब 36.44 फीसदी वोट मिला। वहीं, दूसरे स्थान पर रहे बसपा के राजप्रसाद उपाध्याय को 26.52 फीसदी और समाजवादी पार्टी के अरुण शर्मा को 26.26 फीसदी वोट मिले। एक बार फिर यहां पर मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है।