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पूरे देश में है मशहूर यह गांव,जहाँ हर घर से है आईएएस पीसीएस अधिकारी हैं ,फिर भी गांव में विकास कोसों हैं दूर,देखे पूरी रिपोर्ट सिर्फ के.डी न्यूज़ पर।

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उत्तर प्रदेश- यहां तमाम घरों से अब तक 47 अफसर निकले हैं. इसके बावजूद भी इस गांव का प्राथमिक स्कूल से लेकर पक्की सड़क तक नहीं है. विडंबना यह है कि यहां से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर लोगों ने अफसर बनने के बाद कभी पैतृक गांव की ओर रूख तक नहीं किया।

अब तक 47 IAS, IPS व IFS अफसर देने वाले यूपी के इस गांव की नहीं बदली सूरत
जौनपुर (Jaunpur) जिले का गद्दीपुर के माधोपट्टी बस्ती गांव सिविल सर्वेंट्स यानी आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS), आईएफएस (IFS) के गांव के रूप मे प्रसिद्द हैं।

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पूरे देश में है मशहूर यह गांव,जहाँ हर घर ने है आईएएस पीसीएस अधिकारी हैं ,फिर भी गांव में विकास कोसों दूर।

सिर्फ आईएएस निकले, बल्कि पीसीएस अधिकारियों की एक फौज गांव से निकली है.

ऐसा नही है कि इस गांव से सिर्फ आईएएस निकले, बल्कि पीसीएस अधिकारियों की एक फौज गांव से निकली है. इस गांव के राममूर्ति सिंह, विद्याप्रकाश सिंह, प्रेमचंद्र सिंह, पीसीएस महेंद्र प्रताप सिंह, जय सिंह, प्रवीण सिंह और उनकी पत्नी पारुस सिंह, रीतू सिंह, अशोक कुमार प्रजापति, प्रकाश सिंह, संजीव सिंह, आनंद सिंह, विशाल सिंह और उनके भाई विकास सिंह, वेदप्रकाश सिंह, नीरज सिंह पीसीएस अधिकारी बन चुके थे।

अधिकारियों को पैदा करने वाले इस गांव की तस्वीर जस की तस बनी हुई है.

इस गांव की मिट्टी में ही कुछ ऐसा है कि यहां से निकले आईएएस, आईपीएस व आईएफएस पीएमओ, सीएम से लेकर विदेशों में तैनात हैं. लेकिन अधिकारियों को पैदा करने वाले इस गांव की तस्वीर जस की तस बनी हुई है. यह छोटा सा गांव है उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के गद्दीपुर गांव का माधोपट्टी है.

कस्बे की खासियत यह है कि इस गांव ने देश को अब तक 47 आईएएस, आईपीएस व आईएफएस ऑफिसर दिए हैं. ये सभी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के कार्यालयों में कार्यरत हैं।

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गांव के प्राथमिक स्कूल भवन जर्जर हालत में है

इतनी बड़ी खासियत होने के बावजूद भी ये गांव आज भी स्थानीय प्रशासन और सरकार की नजरों से कोसों दूर है. अफसर बनने के बाद किसी ने भी अपने गांव की तरफ रूख नहीं किया. गांव के प्राथमिक स्कूल भवन जर्जर हालत में है. बच्चे टूटे फर्स पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. सड़क, बिजली पानी जैसी बुनियादी सुविधा भी नहीं है.

चारों भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पास की.

इसी गांव में एक ऐसा परिवार भी था, जिसके चारों भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पास की. लोग बताते हैं कि यहां 1952 में इंदू प्रकाश सिंह का आईएएस की दूसरी रैंक में सेलेक्शन क्या हुआ, मानो यहां के युवाओं में खुद को साबित करने की होड़ लग गई. आईएएस बनने के बाद इंदू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित दुनिया के कई देशों में भारत के राजदूत रहे।

गांव के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज है.

इस गांव के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज है. एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पास कर नया रिकॉर्ड कायम किया था. 1955 में बड़े भाई विनय ने सिविल सर्विस की परीक्षा पास की. अन्य दूसरे भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 1964 में ये परीक्षा पास की. इसके बाद इन्हीं के छोटे भाई शशिकांत सिंह ने 1968 में ये परीक्षा पास कर गांव मे इतिहास रच दिया.

सुल्तानपुर-डीआईजी ने दिए हिस्ट्रीशीटर की निगरानी के निर्देश।

सुल्तानपुर- जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी ने सीएचसी और सेतु एवं पहुंचमार्ग का किया गया निरीक्षण।

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