लखनऊ-जेल से छूटने के बाद आज़म खान आज ले सकते हैं कुछ बड़ा फैसला, अखिलेश की रुक गई है सांसें।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद सपा विधायक आजम खान खासे सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। सोमवार को वह बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ विधायक पद की शपथ लेने के लिए यूपी विधानसभा पहुंचे। यहां विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उन्हें शपथ दिलाई। बताया जा रहा है कि शपथ लेने के बाद आजम खान वापस रामपुर के लिए रवाना हो गए हैं। 11 बजे से शुरू हुई विधानसभा की कार्यवाही में आजम खान कहीं नजर नहीं आए। इससे पहले लखनऊ में आयोजित सपा विधायक दल की बैठक में भी आजम खान नहीं शामिल हुए थे। यूपी के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि एक-दो दिन के भीतर आजम खान कोई बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं।
जेल से छूटने के बाद आज़म खान का आज होने वाला है कुछ बड़ा फैसला, अखिलेश की रुक गई है सांसें।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में बेहद चर्चित चेहरा बन चुके आजम खां करीब सवा दो साल तक सीतापुर की जिला जेल में बंद थे। सुप्रीम कोर्ट से 19 मई को अंतरिम राहत मिलने के बाद 20 मई को जेल से बाहर निकले आजम खां लखनऊ में रविवार को समाजवादी पार्टी विधनमंडल दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। आजम खां ही नहीं उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां और आजम खां के समर्थक दो विधायक भी अखिलेश यादव की बैठक में मौजूद नहीं थे। यह सभी लोग रामपुर में जिला जेल में बंद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता तथा नेताओं से मिल रहे थे।
आजम खां अपने बेटे के साथ करीब 10:15 बजे विधान भवन में पहुंचे। इसके बाद उन्होंने सीधा विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय का रुख किया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अपने कार्यालय में रामपुर शहर से समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खां तथा रामपुर के स्वार टांडा से विधायक अब्दुल्ला आजम खां को विधानसभा सदस्य पद की शपथ दिलाई। इस दौरान समाजवादी पार्टी के कई विधायक तथा विधान परिषद सदस्य भी उनके साथ मौजूद थे।
एक दिन पहले सपा की बैठक में आजम के करीबी नसीर अहमद खान और शहजील इस्लाम जैसे करीबी विधायकों ने भी नहीं हिस्सा लिया। अखिलेश की बैठक में आने की जगह आजम खान रामपुर में अपने करीबियों से मिलते जुलते रहे। रविवार को आजम रामपुर जेल में बंद गुड्डू मसूद से मिले तो बरेली से सपा विधायक शहजील इस्लाम के साथ बैठक की। इससे पहले शनिवार रात को उन्होंने बरेली के मौलाना तौकीर रजा के साथ मीटिंग की थी। कहा जा रहा है कि आजम ने अपने मुस्लिम वोटों को लेकर रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है।
आजम खान तो विधानसभा में नहीं नजर आए पर उनके बेटे अब्दुल्ला आजम जरूर दिखे। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के दौरान जहां सपा के लगभग सभी विधायक महंगाई और रोजगार के मुद्दे पर हाथों में बैनर-पोस्टर लिए हंगामा करते हुए नजर आए, वहीं अब्दुल्ला आजम शांत बैठे नजर आए। अब्दुल्ला आजम ने सत्र के दौरान सपा की लाल टोपी भी नहीं पहनी हुई थी।
लंबे समय से इस बात की चर्चा है कि आजम खान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं। जेल से रिहा होने के बाद आजम खान ने इशारों में कई आरोप लगाए पर खुलकर अखिलेश का नाम नहीं लिया है। रामपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए आजम खान ने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि सबसे ज्यादा जुल्म तो मेरे अपनों ने किए हैं।
अखिलेश यादव से नाराजगी के सवाल पर आजम खान का कहना है कि नाराज होने के लिए कोई आधार होना चाहिए। मैं खुद ही निराधार हूं तो आधार कहा से आएगा। मैं गली में रहने वाला एक गरीब आदमी हूं। हां एक खता हुई थी कि बच्चों के हाथ में कलम देना चाहा था और चाहा है, वो मिशन आज भी जिंदा है। अगर वो यूनिवर्सिटी गिरा भी दी जाए, इस पर बुलडोजर चल भी जाए तो टूटे हुए खंडहर बनी हुई इमारतों से ज्यादा इतिहास का हिस्सा बनेंगे।
आजम का दावा है कि सीतापुर जेल से छूटने से पहले एक इंस्पेक्टर ने इशारों इशारों में एनकाउंटर की धमकी दी थी। आजम का कहना है कि जब जेल के अंदर पुलिस इंस्पेक्टर धमकी दे सकता है कि आप भूमिगत हो जाइएगा। आप पर बहुत मुकदमे हैं। ऐसा ना हो कि कहीं आपका एनकाउंटर हो जाए। जब मुझपर इतने खतरे हों, तो ऐसे में यह कहना कि मेरा सफर कहां तक का है, मुझे खुद नहीं पता।
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