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क्या आप जानते हैं कि पहले जनपद में कितनी नदियाँ बहती थी,किस नदी को सीडीओ अतुल वत्स ने पुनर्जीवित करने के लिए कराया ड्रोन से सर्वे,देखे पूरी जबरदस्त स्टोरी सिर्फ के.डी न्यूज़ यूपी पर।

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यूपी के सुलतानपुर जिले में होकर गुजरने वाली आधा दर्जन छोटी नदियों के अस्तित्व पर संकट चल रहा है। इनमें चार नदियां गोमती नदी में मिलती हैं और दो नदियां अम्बेडकर नगर जिले में बहने वाली टोंस व मड़वा नदी में जाकर मिल जातीं हैं। मगर, सिल्ट व मिट्टी से पटने के कारण सिर्फ बरसात के मौसम में ही इनमें पानी नजर आता है। इस खबर को लेकर हम आप को विस्तार पूर्वक खबर के अंत मे बताएंगे की जनपद में कितनी नदियाँ विलुप्त हो रही हैं लेकिन पहले इसी मामले को लेकर सुल्तानपुर जनपद से अच्छी खबर आ रही है।जहां
अयोध्या-सुल्तानपुर के बॉर्डर पर स्थित कूरेभार ब्लॉक के दखिनवारा गांव से गुजरी मझुई नदी के जीणोद्धार को लेकर मंगलवार को सर्वे का काम शुरू हुआ। 25 किमी0 लंबी इस नदी के जीणोद्धार के लिए शुरू हुए सर्वे का जायजा लेने जनपद के मुख्य विकास अधिकारी अतुल वत्स दोपहर दखिनवारा गांव पहुँचे।

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जनपद से आधा दर्जन गुजरने वाली नदियों के आस्तित्व के संकट पर लगने वाला है अब विराम,अतुल वत्स की अगुवाई में मझुई नदी होगी पुनर्जीवित।

जहां उन्होंने सर्वे टीम के अधिकारियों से नदी के उदगम पॉइंट से लेकर एंड पॉइंट की जानकारी ली।इस दौरान उन्होंने बताया कि मझुई नदी के जीणोद्धार के लिए नया प्लान तैयार किया गया है।25 किमी0 लंबी नदी की उत्त्पत्ति दखिनवारा गांव से गुजरे रेलवे लाइन के समीप से है।इस तरह के सर्वे के लिये हमारे इंजीनियरों का यह नया प्रयोग है।सर्वे काम पूरा होते ही इस नदी का जीणोद्धार शुरू हो जाएगा।जिससे साल के 12 माह नदी में पानी बना रहेगा।इसमें बनने वाले बांधों को चौड़ा बनाया जाएगा,जिससे किसानों को खेती किसानी में सहूलियत रहे।इसके लिए जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा।

मझुई नदी को पुनर्जीवित करने के लिए शासन के आदेश पर जिला प्रशासन ने अभियान शुरू कर दिया है डीपीआर तैयार करने के लिए मंगलवार को 19 सदस्यीय टीम ने सर्वे का कार्य शुरू कर दिया। जनपद में मझुई नदी के पुनर्जीवित होने के बाद आगे जौनपुर और आजमगढ़ के अधिकारियों को भी इस नदी के जीर्णोद्धार का कार्य कराए जाने का फरमान सुनाया जा सकता है, इससे आजमगढ़ के विसुही नदी से यह जुड़ जाएगी। जिले में दाखिनवारा गांव के तालाब से निकली 25 किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैले हुई नदी विकासखंड दोस्तपुर अखंड नगर की ग्राम पंचायतों से होकर आजमगढ़ के बीच मझुई नदी से जाकर मिली है नदी के जीर्णोद्धार कराए जाने के लिए मुख्य विकास अधिकारी अतुल वक्त की अध्यक्षता में 19 सदस्य टीम ने आधुनिक मशीनों एवं ड्रोन कैमरे से सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ कर दिया है।

इस दौरान डीपीआरओ आरके भारती, डीसी मनरेगा अनवर शेख,बीडीओ कूरेभार ज्ञानेंद्र मिश्रा एडीओ पंचायत प्रकाश कुमार मिश्रा,सर्वे टीम से शारदा सहायक खंड 16 के अधिशाषी अभियंता शरद कुमार,सहायक अभियंता विजय कुमार यादव,जेई मनोज कुमार गुप्ता,जैस राज यादव आकिब अहमद,शौरभ तिवारी,ग्राम पंचायत अधिकारी दिलीप पाठक ग्राम प्रधान ,दखिनवारा,पुरखीपुर,इस्माइलपुर ग्राम प्रधान भी मौजूद रहे।

अब हम आप को जनपद की विलुप्त हो रही दर्जनभर नदियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

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यूपी के सुलतानपुर जिले में होकर गुजरने वाली आधा दर्जन छोटी नदियों के अस्तित्व पर संकट है। इनमें चार नदियां गोमती नदी में मिलती हैं और दो नदियां अम्बेडकर नगर जिले में बहने वाली टोंस व मड़वा नदी में जाकर मिल जातीं हैं। मगर, सिल्ट व मिट्टी से पटने के कारण सिर्फ बरसात के मौसम में ही इनमें पानी नजर आता है।

जनपद के पश्चिमी-दक्षिणी छोर पीपरपुर से निकलने वाली पिपरी नदी की कुल लम्बाई 32 किमी है। यह कुड़वार ब्लॉक के आगे गोमती नदी में मिलती है। इसमें नहरों के कटने से कभी-कभी ही पानी दिखाई पड़ता है। पश्चिमी छोर पर इस्लामगंज बाजार से करऊआ नदी निकलती है। इसकी लम्बाई 22.5 किमी है। यह भी कुड़वार के पास गोमती नदी में मिल जाती है। इस नदी में सिर्फ बरसात में ही पानी नजर आता है। उसके बाद यह घास-फूंस से पटी नदी सूखी ही पड़ी रहती है। भाद्र नदी भादा झील से निकलकर 22.17 किमी दूरी तय कर पयागीपुर, गभड़िया होते हुए पलहीपुर में गोमती नदी में मिलती हैं। नदी में सिर्फ शहर की गंदगी ही प्रवाहित होती है। सबसे चर्चित पीली नदी भरखरे से निकलकर हड़िया गुलालपुर, नगर पंचायत कोइरीपुर होते हुए आगे बढ़ती है। इसकी कुल लम्बाई 35.8 किमी है। यह मल्हीपुर घाट के पास गोमती नदी में मिलती है। यह नदी भी सिल्ट सफाई के अभाव में पटती जा रही है। इसमें सिर्फ बरसात के मौसम पानी का प्रवाह नजर आता है। अन्य मौसम में नहरों से कभी पानी कटने के कारण या तो फिर नगर पंचायत कोइरीपुर से नालियों के रास्ते निकलने वाला गंदा पानी ही प्रवाहित होता है। जमोरी नदी को जमोरिया नाला के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी कटका के पास से निकलकर टाटियानगर तक 12.5 किमी दूरी में प्रवाहित होती है। इस में भी सिर्फ बरसात में पानी दिखाई पड़ता है। इन नदियों में सिल्ट जमा होने से इनके अस्तित्व पर संकट है। कूरेभार से निकलकर 52.80 किमी दूरी में प्रवाहित होकर मझुई नदी में मिलने वाली कुड़ेरा नदी भी सूख चुकी है। इसमें भी सिर्फ बरसात में ही पानी दिखाई पड़ता है।

जिले के अयोध्या बार्डर चौरे बाजार से निकलकर अखण्ड नगर के रास्ते प्रवाहित होने वाली मझुई नदी 73 किमी दूरी तय करके अम्बेडकर नगर के टोंस नदी में मिलती है। इस नदी में ठण्ड के मौसम तक पानी दिखाई पड़ता है। गर्मी में नदी सूख जाती है। धनपतगंज से निकलकर सिल्ट से पट जाने के कारण इस नदी के अस्तित्व पर संकट के बादल छाए हुए हैं। धनपतगंज से निकलने वाली बिसुही नदी जो कि अम्बेडकर नगर के मड़वा नदी में 76 किमी की दूरी तय करने के बाद मिलती हैं। सिर्फ बरसात में ही पानी दिखती है।

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