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सुल्तानपुर जनपद की ऐतिहासिक धरोहर “रूपई झील” के दिन बहुत जल्द ही हैं बहुरने वाले।

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सुल्तानपुर जनपद की ऐतिहासिक धरोहर “रूपई झील” के दिन बहुत जल्द ही हैं बहुरने वाले।
 

जनपद के जिलाधिकारी रवीश गुप्ता और सीडीओ अंकुर कौशिक ने रूपई झील की कायाकल्प के लिए किया निरीक्षण

यहां अक्सर देखने को मिलता है साइबेरियन ,ऑस्ट्रेलियन और नेपाली पक्षियों का जमावड़ा।

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98 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली इस झील के कायाकल्प की योजना हुई है फाइनल।

सुल्तानपुर जनपद और आजमगढ़ बार्डर पर स्थित हैं भगवान श्रीराम के समय की यह हैं रूपई झील जिसको कन्हाई झील के नाम से भी जाता है जाना।


त्रेतायुगी रुपईपुर झील की जल्द ही बहुरने वाले हैं दिन,डीएम सीडीओ ने झील का किया निरीक्षण।

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सुलतानपुर में जिले के अखण्डनगर ब्लॉक क्षेत्र में 98 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली “रूपई झील” के संवारने ,उसका कायाकल्प कर उसको उसके पुराने स्वरूप में बहाल करने का बीड़ा डीएम रवीश कुमार गुप्ता और पूर्व मुख्य विकास अधिकारी अतुल वत्स ने उठाया था, उसी मामले को लेकर सोमवार को जिलाधिकारी रवीश गुप्ता और सीडीओ अंकुर कौशिक द्वारा रूपईपुर झील के जीर्णोधार को लेकर निरीक्षण किया गया।
गौरतलब हो कि 98 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली रूपई झील जो कन्हाई झील के नाम से भी जानी जाती है, के पुनरोद्धार पर तकरीबन 35 करोड़ 67 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान लगया जा रहा है । इस बात की जानकारी उपायुक्त मनरेगा अनवर शेख़ द्वारा बातचीत के दौरान बताया गया।
अखण्डनगर ब्लॉक  क्षेत्र में करीब 98 हेक्टेयर क्षेत्रफल में  फैली रूपई( कन्हाई झील ) को पुनर्जीवित (पुनरोद्धार ) कराए जाने की योजना पर तेजी से अमल शुरू हो गया है ।इस संबंध में डीएम रवीश गुप्ता और सीडीओ अंकुर कौशिक ने हकीकत जानने के लिए धरातल पर जा कर निरीक्षण किया।
बताते चलें कि रूपई झील जो   ऐतिहासिक और पौराणिक कन्हाई झील से भी जानी जाती है। यहां के निवासियों की मानें तो इसकी पौराणिक मान्यता यह है कि यह भगवान श्रीराम के समय से स्थित है और तभी से स्थानीय लोगो मे जानी जाती हैं। 
यहां के लोगों का कहना है कि यहां जो पक्षियों का समूह हैं वह अपने प्रभु श्रीराम का गुणगान करता है । लेकिन लोगों की अनदेखी और उपेक्षा के कारण इसका अस्तित्व अब खतरे में पड़ गया है । इस ऐतिहासिक झील को पुनर्जीवन देने का कार्य मनरेगा के तहत किया जाना है। इस झील की विशेषता यह भी है कि यहां स्थानीय पक्षियों के साथ प्रवासी पक्षियों साइबेरियन ऑस्ट्रेलियन और नेपाली पक्षियों का जमावड़ा देखा  जाता है । आसपास के जिलों के लोग यहां के विहंगम दृश्य देखने सर्दी के मौसम में यहाँ पहुंचते हैं ।
वही स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां कमल और मछलिया बहुतायत है यहां से कमल बनारस की मंडियों में बिकने जाता हैं, यहां एक गांव का पुरवा हैं श्रीलंका की तरह से तीन तरफ से पानियों से घिरा रहता है।
वही सीडीओ अंकुर कौशिक ने मुलाकात के दौरान बताया कि डीएम साहब के साथ रुपई पुर झील देखा गया है और उस पर वृहद स्तर पर चर्चा भी की गई वही स्थानीय लोगों ने बातचीत के दौरान पौराणिक मान्यताओं के बारे में भी जानकारी दी है। अब जल्द ही यह झील जनपद के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में इसकी कायाकल्प की तैयारी शरू की जाएगी।

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