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सुल्तानपुर-समाज कल्याण अधिकारी पर लगभग तीन लाख साठ हजार रुपये की लटकी वसूली की तलवार,अमित सिंह ने कहा मेरे विभाग की नही है रिकबरी,जिला प्रोवेशन अधिकारी का है मामला।

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सुल्तानपुर जनपद के समाज कल्याण अधिकारी पर लगभग तीन लाख साठ हजार रुपए के वसूली की तलवार लटकी।

शासन से मनाही के बाद भी डाटा ऑपरेटरों के खातों में भेजा गया बढ़ा हुआ वेतन।

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समाज कल्याण अफसर पर लगभग तीन लाख साठ हजार रुपये की लटकी वसूली की तलवार,अन्य अफसर भी जद में।

सरकार अपने अफसरों को तनख्वाह के नाम पर महीने भर में अच्छी खासी रकम देती हैं लेकिन अफसर है कि बगैर घपले-घोटाले से बाज नही आ रहे हैं।,बात उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की है जहां सरकार भले ही जीरो टालरेंस का दावा करती हो, लेकिन अफसर पुराने ढर्रे से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। सरकार लाख प्रयास कर ले ,लेकिन अफसर हैं कि घपले-घोटाले के बीच जीने के आदी हो गए हैं । मामला है सुल्तानपुर जिले के जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा शासनादेश के विपरीत सेवा प्रदाता द्वारा नियुक्त किए गए 8 कम्प्यूटर डाटा ऑपरेटरों और अन्य कार्मिकों के एकाउंट में करीबन तीन लाख 60 हजार रुपए ज्यादा भेज दिए गए हैं, ।

समाज कल्याण विभाग में सेवा प्रदाता द्वारा नियुक्त किए गए करीब आठ कम्प्यूटर डाटा ऑपरेटरों एवं अन्य कार्मिकों के खातों में निर्धारित मानदेय ( वेतन)से ज्यादा भेजने के मामले में पूर्व मुख्य विकास अधिकारी अतुल वत्स को जानकारी लगते ही उनके द्वारा जांच टीम गठित की गई थी। जिसमे वरिष्ठ कोषाधिकारी वरुण खरे की अध्यक्षता में और सदस्य के रूप में शामिल वित्त एवं लेखाधिकारी प्रशांत कुमार चतुर्वेदी साथ ही संपरीक्षा अधिकारी अरविंद कुमार की जांच में दोषी पाए गए। वही जानकारी आ रही है कि जिला समाज कल्याण अधिकारी अमित सिंह पर वसूली ( रिकबरी ) की कार्यवाही बहुत जल्द अमल में आएगी । उनके सिर पर तकरीबन तीन लाख 60 हजार रुपए की रिकबरी की तलवार लटक रही है ।                                
      यह खुलासा पूर्व मुख्य विकास अधिकारी अतुल वत्स द्वारा गठित संयुक्त जांच टीम द्वारा की गई जांच से सामने आया है । विभागीय सूत्रों के अनुसार जिला समाज कल्याण अधिकारी ने डाटा कम्प्यूटर ऑपरेटरोंएवं अन्य कार्मिकों को बढ़े हुए वेतन देने की मंजूरी के लिए शासन को एक चिट्ठी भेजी गई थी ,जिसमें उन्होंने प्रमुख सचिव समाज कल्याण से कम्प्यूटर ऑपरेटरों को 16हजार 700 रुपए वेतन देने की अनुमति मांगी थी ,लेकिन शासन ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि किसी कर्मचारी के वेतन को बढ़ाने और कम करने का सीधा अधिकार प्राप्त नहीं है । बताया जा रहा है कि जिला समाज कल्याण अधिकारी ने शासन से अनुमति नहीं मिलने के बाद भी अपने अधिकार से डाटा ऑपरेटरों को मार्च 2022 तक 16 हजार 700 रुपये प्रति माह के हिसाब से वेतन उनके खातों में भेजा जाता रहा । गौरतलब है कि उस समय तक डाटा ऑपरेटरों को प्रति माह मात्र 10 हजार रुपए ही वेतन देय था । 
              सूत्र तो यहाँ तक बताते हैं कि इस मामले में जिला प्रोबेशन अधिकारी बीपी वर्मा की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई है ।अगर विभागीय सूत्रों पर भरोसा करें तो वित्त एवं लेखाधिकारी प्रशांत चतुर्वेदी की जांच में जिला प्रोबेशन अधिकारी भी दोषी पाए गए हैं । इस संबंध में जिला वित्त एवं लेखाधिकारी प्रशांत चतुर्वेदी ने बताया कि पूर्व सीडीओ अतुल वत्स ने जांच टीम गठित की थी,जिसमे वरिष्ठ कोषाधिकारी वरुण खरे अध्यक्ष और सदस्य के रूप में संपरीक्षा अधिकारी अरविंद कुमार,और स्वंम मैं जांच में शामिल रहा, तकरीबन तीन लाख साठ हजार रुपये का घपला उजागर हुआ है जिसमे जिला समाज कल्याण अधिकारी अमित सिंह और जिला प्रोबेशन अधिकारी बीपी वर्मा पर वशूली की कार्यवाही की जाएगी।

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लेकिन अब सवाल उठना लाज़मी है कि इन अफसरों से हुए घपले से रिकबरी हो पाएगी या अन्य बड़े घपले के तरीके से यह भी घपला ठंडे बस्ते में चला जायेगा।

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