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सुल्तानपुर-चाउमीन खाने गयी 14वर्षीय किशोरी से गैंगरेप मामले दोषियों को कोर्ट ने दी 25 साल कठोर कारावास की सजा।

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गैंगरेप के दोषियों को 25 साल कठोर कारावास के बाद पास्को कोर्ट ने गवाह को सुनाई 3 माह की सजा


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सुलतानपुर। करीब सवा साल पहले चाउमीन खाने गयी 14 वर्षीय किशोरी से गैंगरेप मामले में झूठी गवाही देकर आरोपियों को बचाने का प्रयास वाले गवाह राधे श्याम को स्पेशल जज पाक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-344 के अपराध में दोषी करार दिया है। जिसे अदालत ने तीन माह के कारावास एवं 500 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
मालूम हो कि कादीपुर कोतवाली क्षेत्र स्थित तवक्कलपुर नगरा के रहने वाले आरोपी अभिषेक अग्रहरि की दुकान पर इसी थाना क्षेत्र की रहने वाली एक 14 वर्षीय किशोरी 22 नवंबर 2021 को चाऊमीन खाने गई थी,लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। पीड़िता के पिता के मुताबिक जब आरोपी अभिषेक अग्रहरि को पता चला कि किशोरी के पास पैसे नहीं है तो उसकी मजबूरी का नाजायज फायदा उठाकर अभिषेक उसे रुपयों का लालच देकर पास में स्थित सुपर मार्केट में बुलाकर ले गया,फिर सुपर मार्केट में मौजूद एक कमरे में ले जाकर अभिषेक ने वहां पर अपने गांव के ही रहने वाले साथी दीपक अग्रहरी, शिवम अग्रहरि व शुभम अग्रहरी के साथ मिलकर पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। मामले में दुष्कर्म का आरोपी शुभम अग्रहरी स्थाई रूप से जौनपुर जनपद के सरपतहा थाना क्षेत्र का रहने वाला है और इस मामले में गाली -गलौज व मारपीट के आरोपी बताए गए आरोपी मंगल व बब्बू भी जौनपुर जिला स्थित सरपतहा थाना क्षेत्र के रहने वाले है। आरोपियों के जरिए की गई गैंगरेप की घटना से पीड़िता बेहोश हो गई थी,पर जब उसे होश आया तो उसने अपने परिजनों से आप बीती बताई। इस मामले में घटना के अगले दिन 23 सितंबर 2021 को पीड़िता किशोरी के पिता की तहरीर पर स्थानीय कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ और आरोपियों की सामने आई भूमिका के अनुसार उनके खिलाफ आरोप-पत्र भी कोर्ट में दाखिल हुआ। आरोप-पत्र दाखिल होने के बाद प्रकरण का विचारण स्पेशल जज पाक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत में चला। एक किशोरी के साथ ऐसी घटना को अंजाम देकर मानवता को शर्मसार कर देने वाले इस घिनौनी वारदात से जुड़े मामले के विचारण में स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने भी पूरी सक्रियता दिखाई,नतीजतन सवा साल में ही मामले का फैसला आ गया था। मिली जानकारी के मुताबिक मामले के विचारण के दौरान आरोपियों के अनुचित प्रभाव की वजह से अभियोजन पक्ष के गवाहों ने कोर्ट में पूरी सच्चाई को भी नहीं बताया था,जिसके आधार पर बचाव पक्ष ने अपने साक्ष्यो एवं तर्कों को प्रस्तुत कर सभी आरोपियों को बेकसूर बताने का पूरा प्रयास किया। वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक रमेश चन्द्र सिंह ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-164 के अंतर्गत हुए पीड़िता के बयान व विधि विज्ञान प्रयोगशाला से शुक्राणु मौजूद पाये जाने सम्बन्धी आई रिपोर्ट एवं अन्य उपलब्ध साक्ष्यो के आधार पर आरोपियों की सजा के लिए पर्याप्त सबूत होने का दावा करते हुए उनके अपराध को अत्यंत गम्भीर बताते हुए दोषी ठहराकर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा से दंडित किए जाने की मांग की थी। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने ऐसे अपराधियो को देश व समाज के लिए घातक मानते हुए बीते तीन मार्च को आरोपीगण अभिषेक अग्रहरि,दीपक अग्रहरि,शिवम अग्रहरि व शुभम अग्रहरि को दोषी करार देते हुए उन्हें 25-25 वर्ष के कठोर कारावास की सजा काटने एवं सभी को 50- 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई थी,वहीं अदालत ने मारपीट व गाली-गलौज के आरोपी बब्बू व मंगल को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था।मामले में जज पवन कुमार शर्मा ने कोर्ट में सही बात ना बताकर आरोपियों को बचाने के लिए झूठी गवाही देने वाले राधेश्याम को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा- 344 व पॉक्सो एक्ट की धारा- 22 की नोटिस दी थी,गवाह राधेश्याम भी कादीपुर थाना क्षेत्र का ही बताया जा रहा है। कोर्ट की नोटिस पर पेश हुए राधेश्याम ने कोर्ट में जमानत अर्जी प्रस्तुत की। अपनी अर्जी में राधेश्याम ने कहा है कि आरोपियों के डरवश उसने अपने परिवार की जान-माल की रक्षा के लिए कोर्ट में सही बात नहीं बताई थी और इसी आधार पर कोर्ट से माफ करने की गुजारिश की थी। फिलहाल अदालत ने ऐसे गंभीर अपराध पर पर्दा डालने के लिए झूठी गवाही देने वाले राधेश्याम को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-344 के अपराध का दोषी मानते हुए उसे तीन माह के कारावास एवं 500 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने अपील की अवधि तक राधेश्याम को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। अब राधेश्याम को हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करनी पड़ेगी। ऐसे में उसे आरोपियों के पक्ष में गवाही देना काफी भारी पड़ गया और उन्हें बचाने का मकसद भी नहीं हल हो पाया।

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