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सबके जेहन में है कि आखिर तीन रेलगाड़ियां एक-दूसरे से कैसे टकरा गईं,देखे रिपोर्ट।

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अब तस्वीर कुछ साफ हो रही है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ओडिशा के बालासोर के पास हुए ट्रेन हादसे का कारण पता चल गया है।

ये सिग्नल के हिसाब से ऑटोमैटिक चेंज होती है। ऐसे में प्रथम दृष्टया सिग्नल डिपार्टमेंट ही जिम्मेदार मालूम होता है।

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भुवनेश्‍वर/नई दिल्‍ली: ये सवालये सिग्नल के हिसाब से ऑटोमैटिक चेंज होती है। ऐसे में प्रथम दृष्टया सिग्नल डिपार्टमेंट ही जिम्मेदार मालूम होता है। सबके जेहन में है कि आखिर तीन रेलगाड़ियां एक-दूसरे से कैसे टकरा गईं? क्या इस भीषण हादसे को रोका जा सकता था? इसके पीछे किसी की लापरवाही है या नहीं। अब तस्वीर कुछ साफ हो रही है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ओडिशा के बालासोर के पास हुए ट्रेन हादसे का कारण पता चल गया है। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में आई गड़बड़ी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। एनबीटी ने इस रेल रूट पर ट्रेन चलाने वाले एक ड्राइवर से बात की जो अब टीटीई की नौकरी करते हैं। उन्होंने इस हादसे के बारे में विस्तार से बताया। वो कहते हैं- जब कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानागा स्टेशन क्रॉस करने वाली थी तब ड्राइवर को मेन लाइन का सिग्नल मिला था लेकिन गाड़ी अचानक लूप लाइन में चली गई। अगर ट्रेन को लूप लाइन से जाना होता है तो येलो सिग्नल के साथ वाइट सिग्नल जलता है लेकिन सिग्नल ग्रीन था। लूप लाइन जाने की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है। इसलिए सिग्नल मिलते ही ड्राइवर स्पीड घटा लेता है। हालांकि, शुक्रवार को ऐसा नहीं हुआ।

एक्सप्रेस के ड्राइवर को ग्रीन सिग्नल मिला और वो 130 किलोमीटर की प्रति घंटे की रफ्तार से ही आगे बढ़ गया

ओडिशा ट्रेन हादसा: ऑटोमैटिकली चेंज होती है इंटरलॉकिंग
बालासोर दुर्घटना में कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर को ग्रीन सिग्नल मिला और वो 130 किलोमीटर की प्रति घंटे की रफ्तार से ही आगे बढ़ गया। लूप लाइन का चक्कर छोटे-बड़े स्टेशन के पास ही पड़ता है। लूप लाइन पर मालगाड़ी खड़ी थी और इतनी भीषण टक्कर हुई कि कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। ये तस्वीर हमने आपने देखी है। टकराने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियां दूसरी मेन लाइन पर गिर गई जो डाउन लाइन है। उस पर बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस आ रही थी और ये पटरी पर गिरी बोगी को चीरते हुए निकल गई। अब सवाल उठता है कि इंटरलॉकिंग तो अब मैनुअली नहीं होती है। ये सिग्नल के हिसाब से ऑटोमैटिक चेंज होती है। ऐसे में प्रथम दृष्टया सिग्नल डिपार्टमेंट ही जिम्मेदार मालूम होता है।

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