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सुल्तानपुर/अमेठी-आठ वर्षीय मासूम को हवस का शिकार बनाने के दोषी विशाल को अदालत ने सुनाई 20 वर्ष कठोर कारावास की सजा,देखे रिपोर्ट।

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आठ वर्षीय मासूम को हवस का शिकार बनाने के दोषी विशाल को अदालत ने सुनाई 20 वर्ष कठोर कारावास की सजा,ठोंका 20 हजार रुपये का अर्थदंड

अदालत ने छेड़खानी एवं दुष्कर्म समेत अन्य आरोपों से जुड़े तीन मुकदमों में आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में किया बरी,आरोपियों को मिली राहत

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पवन कुमार शर्मा की अदालत ने चार मामलों में सुनाया फैसला,कोर्ट ने निर्दोषों को किया बरी,दोषी को मिली करनी की सजा,ताबड़तोड़ आ रहा कोर्ट का फैसला


सुलतानपुर/अमेठी। बाग में लकड़ी बिनने गई आठ वर्षीय मासूम को हवस का शिकार बनाने के दोषी विशाल को जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं अदालत ने छेड़खानी एवं दुष्कर्म समेत अन्य आरोपों से जुड़े तीन मुकदमों में साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपियों को बरी कर दिया है।
पहले मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने 27 दिसंबर 2021 की घटना बताते हुए संग्रामपुर थाना क्षेत्र स्थित सोनारीकला गांव के रहने वाले आरोपी विशाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक घटना के दिन आठ वर्षीय पीड़िता बाग में लकड़ी बिनने गई थी,इसी दौरान आरोपी विशाल उसे पास स्थित सरसों के खेत मे उठा ले गया और उसे हवस का शिकार बनाया। इस दौरान पीड़िता के चिल्लाने की आवाज सुनकर 10 वर्षीय एक लड़का वहां पहुंचा और उसने आरोपी को भला-बुरा कहते हुए उसके इस घिनौने कृत्य पर विरोध जाहिर किया एवं चिल्लाने लगा,जिसके बाद आरोपी वहां से भाग निकला। इस मामले में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और उसे गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्रवाई की गई। मामले का विचारण स्पेशल जज पाक्सो एक्ट की अदालत में चला। विचारण के दौरान बचाव पक्ष ने अपने साक्ष्यो एवं तर्को को रखते हुए स्वयं को बेकसूर साबित करने का भरसक प्रयास किया। वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक विवेक सिंह व निजी अधिवक्ता अखिलेश शुक्ला ने अपने साक्ष्यों व तर्को को प्रस्तुत करते हुए विशाल को दोषी ठहरा कर उसे कड़ी से कड़ी सजा से दंडित किए जाने की मांग की। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने आरोपी विशाल को दोषी करार देते हुए उसे 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
दूसरे मामले में अभियोजन पक्ष ने 28 फरवरी 2021 को जगदीशपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक अभियोगी की पुत्री पश्चिम बंगाल के रहने वाले आरोपी नौरू उर्फ नूर मोहम्मद कुरैशी से अक्सर बात करती थी और वह घर से कहीं भाग गई है। संदेह के आधार पर दर्ज कराए मुकदमे में तफ्तीश हुई तो नौरू उर्फ नूर मोहम्मद ही सही आरोपी निकला, जिसके खिलाफ अदालत में विचारण चला। हालांकि साक्ष्य के दौरान पीड़िता ने बताया कि वह घटना के समय पूर्ण रूप से बालिग रही और उसने अपनी मर्जी से आरोपी नूर मोहम्मद के साथ शादी कर ली है एवं उसी के साथ जिंदगी बिता रही है। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने आरोपी नौरू को निर्दोष मानते हुए उसे साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
वहीं गोसाईगंज थाना क्षेत्र की घटना बताते हुए तीसरे मामले में अभियोजन पक्ष ने मोबाइल नंबर का जिक्र करते हुए 28 जून 2019 को स्थानीय थाने में अवयस्क पीड़िता को भगा ले जाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया। तफ्तीश के दौरान इसी थाना क्षेत्र के रामचंदरपुर गांव के रहने वाले अजय शर्मा व उसके साला विजय शर्मा का नाम प्रकाश में आया। मामले में साक्ष्य के दौरान पीड़िता ने बताया कि आरोपी विजय शर्मा ही उसे भगा कर ले गया था और उसके साथ संबंध बनाया था,हालांकि कुछ महीनों पहले सड़क दुर्घटना में विजय शर्मा की मृत्यु हो चुकी है।वहीं पीड़िता ने उसके रिश्तेदार अजय शर्मा को अपने बयान में निर्दोष बताया। अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी अजय शर्मा को मामले में बरी कर दिया है।
चौथे मामले में मोतिगरपुर थाना क्षेत्र स्थित डिंगुरपुर-बनकेगांव के रहने वाले आरोपी दिलीप कनौजिया के खिलाफ पीड़िता के भाई ने 23 अक्टूबर 2018 की घटना बताते हुए छेड़छाड़ व मारपीट समेत अन्य आरोपों मुकदमा दर्ज कराया। मामले के विचारण के दौरान पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने उसके साथ कोई घटना नहीं की थी, बल्कि उसके घर वालों ने आरोपी से रंजिश रखने की वजह से उस पर फर्जी केस दर्ज करा दिया था। वहीं दिलीप कनौजिया भी स्वयं को बेकसूर होने का दावा करता रहा। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी दिलीप कनौजिया को भी बरी कर दिया है।

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