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सुलतानपुर-नहरों की सिल्ट सफाई की शिकायत पर बोले अधिशासी अभियंता,सही पाए जाने पर कार्य श्रमदान होगा घोषित,अन्य को मिलेगा ठेका।

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सुल्तानपुर। जनपद की नहरों में समय से पानी मिल जाने से किसानों द्वारा गेहूं की सिचाई की जा रही है तो वही कुछ लोगों द्वारा नहर की सिल्ट सफाई ना होने की भी शिकायत अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड सुल्तानपुर को दी गई।इसी मामले को लेकर के.डी न्यूज़ संवाददाता द्वारा राम प्रकाश प्रजापति अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड सुल्तानपुर से मुलाकात कर इस मामले की विस्तृत जानकारी ली गई।
जानकारी देते हुए अधिशासी अभियंता ने शुरुआत करते हुए बताया कि कृषकों की जल प्रबंधन में भागीदारी के साथ उनके मन में नहर प्रणाली के प्रति अपनेपन की भावना विकसित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सहभागी सिंचाई प्रबंधन अधिनियम 2009 सिंचाई खंड सुल्तानपुर की समस्त रजवाहा (dy) एवं अल्पिकाओं (माइनर) में लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत सिंचाई प्रणाली का प्रबंधन जल उपभोक्ता समितियो को स्थानांतरित किया गया है परंतु स्वामित्व राज्य सरकार का है।

श्री प्रजापति ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि कमांड क्षेत्र के लाभान्वित कृषकों द्वारा ही चुनाव के माध्यम से समिति के सदस्यों का चयन किया जाता है। प्रत्येक नहर पर एक जल उपभोक्ता समिति है जिसके सभी सदस्य उस नहर से लाभान्वित कृषक ही है। इस प्रकार वर्तमान में इस खंड के अंतर्गत पांच रजवाहा जल उपभोक्ता समिति एवं 55 अल्पिका जल उपभोक्ता समितियां कार्यरत हैं । यह समितियां अपनी नहरो के जल प्रबंधन एवं अनुरक्षण के लिए उत्तरदाई हैं । अधिशासी अभियंता ने आगे बताया कि जल उपभोक्ता समितियां के शासकीय खाता में अनुरक्षण एवं सिल्ट सफाई हेतु राज्य सरकार द्वारा दी गई निर्धारित धनराशि अधिशासी अभियंता द्वारा हस्तांतरित कर दी जाती है। समिति द्वारा ही कार्य हेतु ठेकेदारों को कार्य का कार्यादेश या अनुबंध किया जाता है तथा समिति की सामान्य सभा से अनुमोदित कार्य का भुगतान समिति के कोषाध्यक्ष व सक्षम नहर अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से किए जाते हैं।
नहरों के अनुरक्षण एवं सिल्ट सफाई की शिकायत पर विस्तृत जानकारी देते हुए राम प्रकाश प्रजापति ने आगे बताया कि रजवाहा जल भोक्ता समिति के सक्षम नहर अधिकारी अधिशासी अभियंता एवं अल्पिका जल उपभोक्ता समिति के सक्षम नहर अधिकारी सहायक अभियंता है। कराए गए कार्य के बिल को समिति के अध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष मिलकर पास करते हैं। सक्षम नहर अधिकारी मात्र तकनीकी क्रियान्वयन और वित्तीय नियमों का अवलोकन करते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि समिति द्वारा कराए गए समस्त कार्यों के लिए समिति ही उत्तरदाई है अर्थात उस समिति के समस्त क्षेत्रीय कृषक ही जिम्मेदार है।अब रही नहरों में सिल्ट सफाई ना होने की शिकायत की बात तो उसकी जांच कराई जाएगी अगर शिकायत सही पाई गई तो उस ठेकेदार के कार्य को श्रमदान घोषित कर दिया जाएगा और फिर किसी दूसरे को उस नहर की सफाई का ठेका दे दिया जाएगा।

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अधिशासी अभियंता ने आगे बताया कि इस वर्ष इस खंड की कुल 373.153 किलोमीटर नहरों के सापेक्ष 196.53 किलोमीटर अर्थात 53% नहरों पर सिल्ट सफाई एवं स्क्रेपिंग के कार्य का लक्ष्य रखा गया था परंतु हमने 242.5 किलोमीटर अर्थात 65% नहर की लंबाई में कार्य कराया है। इस प्रकार इस खंड की 131 किलोमीटर लगभग 35% लंबाई की नहरों में कोई कार्य नहीं कराया गया है। सिल्ट सफाई हेतु धनावंटन जो राज्य सरकार से प्राप्त होता है, वह क्रमशः रजवाहा और माइनर के लिए रुपए ₹50000 प्रति किलोमीटर एवं 25000 प्रति किलोमीटर है और स्क्रेपिंग के लिए रुपए 4531 प्रति किलोमीटर है। स्क्रेपिंग का अर्थ खुरचना ही है।
वही कुछ लोगों की शिकायत है कि कोई कार्य ही नहीं कराया गया है या स्क्रेपिंग की गई है और कहा जा रहा है कि सिल्ट सफाई नहीं कराई गई। हमारा मूल उद्देश्य नहरों के टेल तक पानी पहुंचाना है, जिसका हम पूर्ण प्रयास कर रहे हैं।

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वही बातचीत के दौरान अन्नदाता किसानों की तरफ मुखातिब होते हुए राम प्रकाश प्रजापति अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड सुल्तानपुर द्वारा कहा गया कि अन्नदाता कृषकों के प्रति अपने कर्तव्यों से मैं विमुख नहीं हो सकता। मैंने इसी भूमि से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है इसलिए मैं इसका ऋणी भी हूं और पूरा प्रयास कर रहा हूं कि कुछ हद तक इस भूमि का ऋण चुका सकूं। आप सब की बढ़ती हुई जल की मांग को हमने यथासंभव पूर्ण करने का प्रयास किया है। इस समय बैराज पर घाघरा नदी में कम पानी होने की वजह से शारदा सहायक नहर प्रणाली को कम पानी मिल पा रहा है परंतु मेरा पूरा प्रयास है कि प्रत्येक नहर के टेल में स्थित खेतों में पानी पहुंचाया जा सके। आप सबसे भी मेरा यही अनुरोध है कि उपलब्ध जल का समुचित उपयोग सिंचाई हेतु करें।

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