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सुल्तानपुर शहर में पहुँची रणपादुका यात्रा,हर कहीं दिख रहे थे सिर ही सिर,तिल रखने की नही बची थी जगह।

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सुल्तानपुर शहर में चरणपादुका यात्रा पहुँचने को लेकर पलके बिछाएं लोगो की भीड़ ओवरब्रिज से लेकर जमीन तक भीड़ ही भीड़। छतों की बाल्कनियों में, वाहनों के ऊपर, हर कहीं सिर ही सिर दिख रहे थे, धरती पर पांव धरने की जगह नहीं बची । बस चरणपादुका की एक झलक पाने की अजीब सी विकलता। ऐसा नजारा दिख रहा था मानो प्रभु श्रीराम स्वयं धरा पर उतर आए हों। जैसे ही पयागीपुर चौराहे पर चरण पादुका यात्रा पहुँची ही थी कि रामनाम के जयकारों से आसमान गुंजायमान हो उठा। आतिशबाजियों ने धरती से आकाश तक को अपने आगोश में लेकर सजा दिया। ढोल-नगाड़ों की थाप और राम नाम का जाप कर लोग नाच रहे थे और झूम रहे थे साथ ही मोबाइल से हर पल की याद भी कैमरे में कैद भी कर रहे थे कि कहि यह पल निकल ना जाय। यह नजारा बृहस्पतिवार शाम करीब सवा छह बजे चित्रकूट से आ रही श्रीराम चरण पादुका यात्रा की थी।

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चरणपादुका यात्रा पर लोगो की आंखें टकटकी लगाए ऐसी टिकी थी जैसे प्रभु श्रीराम बनबास काट कर वापस आ रहे हैं,देखे लाईव कवरेज सिर्फ के.डी न्यूज़ यूपी पर

जिले की प्रतापगंज बाजार में प्रवेश करते ही यहां नगर विधायक विनोद सिंह और एमएलसी शैलेंद्र सिंह समेत प्रमुख लोगों ने यात्रा का स्वागत किया। सुसज्जित रथ पर चरण पादुका और राम दरबार की आरती पूजन के बाद पुष्पवर्षा हुई और यात्रा आगे चल पड़ी। उधर पयागीपुर चौराहे पर आतुर लोगो की भीड़ को सूचना मिलते ही जुटने लगी। आंखें टकटकी लगाए प्रयागराज जाने वाली सड़क पर टिक गई जैसे प्रभु श्रीराम बनबास काट कर वापस आ रहे हैं। करीब शाम 6:40 बजे जैसे ही रथ की झलक दिखी जयकारे की गूंज से अम्बर थर्रा उठा। आतिशबाजी ने पूरे आकाश को ढक लिया।दरियापुर पुल तक भीड़ रथ के पीछे-पीछे हजारों-हजार की संख्या में भीड़ दौड़ती रही। लोगों ने यात्रा के स्वागत में अपनी पलकें बिछा दी थी। यह यात्रा नारायनपुर, लक्ष्मणपुर, दरियापुर तिराहा, पंजाबी कॉलोनी, बाधमंडी चौराहा, शाहगंज चौराहा, डाकखाना चौराहा, कलेक्ट्रेट और मौनी मंदिर से निकली तो हर जगह पहले से पलकें विछाये हजारों की तादाद में लोगों ने उसी अंदाज में यात्रा का स्वागत किया।हर कोई लालायित दिख रहा था कि किसी तरह पादुका के दर्शन हो जाएं,लोगों का मानना है कि ऐसी भीड़ और ऐसा उत्साह सुल्तानपुर में आज से पहले कभी नहीं देखा गया था। हर कोई सोच रहा था कि रथ को छूने का ही एक मौका मिल जाए। इसके लिए लोग एक-दूसरे पर गिरते-पड़ते नजर आए। हर जगह यात्रा पर फूल बरसाए गए और आतिशबाजी भी हुई। यात्रा जब पंडित रामनरेश सभागार के प्रांगण में पहुंची तो शंखध्वनि के साथ स्वागत और पूजन हुआ। यहां भी हजारों लोग देर रात तक जमा रहे।

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