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यूपी में करीब 16 हजार मदरसों पर छाया संकट कटा,सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर लगाई रोक,देखे रिपोर्ट।

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यूपी में करीब 16 हजार मदरसे हैं जिनमें कुल 13.57 लाख छात्र हैं। कुल मदरसों में 560 अनुदानित मदरसे हैं जहां 9500 शिक्षक कार्यरत हैं। मदरसों पर छाए संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को असंवैधानिक करार देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। इसके साथ ही केंद्र और यूपी सरकार से जवाब भी मांगा। कोर्ट का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले से 17 लाख छात्रों पर असर पड़ेगा। छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना ठीक नहीं है।

दरअसल पीछे का पूरा मामला आप को बताते हैं।

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हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 22 मार्च को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा अधिनियम-2004 को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था। गुरुवार को मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने इस आदेश का पालन कराने के लिए जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

यूपी मदरसा बोर्ड पर छाए संकट के बादल छटे, क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश, देखे KDNEWS UP की रिपोर्ट।

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मानक पूरा करने वाले मदरसे यूपी बोर्ड, सीबीएसई या फिर आइसीएसई से मान्यता लेकर प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालयों की तर्ज पर संचालित हो सकेंगे।जो मदरसे मानक पूरा नहीं करते हैं, उन्हें किसी भी बोर्ड से मान्यता नहीं मिलेगी और इनका संचालन बंद हो जाएगा। इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का दाखिला सरकारी बेसिक या माध्यमिक विद्यालयों में कराया जाएगा। इस निर्णय के बाद सरकार ने डीएम की अध्यक्षता में बनाई समिति
इसके लिए सरकार ने प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई है। यह समिति ऐसे बच्चों को निजी विद्यालयों में भी प्रवेश दिलाने के लिए निर्देश जारी कर सकती है। इसके बाद भी यदि छात्र-छात्राएं दाखिला पाने से वंचित रह जाते हैं तो स्थानीय स्तर पर सीटों की संख्या बढ़ाने व नए विद्यालयों की स्थापना के संबंध में भी समिति कार्य करेगी।
बता दें, यूपी में करीब 16 हजार मदरसे हैं, जिनमें कुल 13.57 लाख छात्र हैं। कुल मदरसों में 560 अनुदािनत मदरसे हैं, जहां 9,500 शिक्षक कार्यरत हैं।

फिलहाल 2004 के मदरसा बोर्ड कानून के तहत ही मदरसों में पढ़ाई-लिखाई चलती रहेगी. यूपी मदरसा बोर्ड की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आज कई गुरुकुल भी प्रसिद्ध हैं. वे अच्छा काम कर रहे हैं तो क्या हमें उन्हें बंद कर देना चाहिए और कहना चाहिए कि यह हिंदू धार्मिक शिक्षा है?

सु्प्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 25 हजार मदरसों के 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगाई है जिसमें इस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया गया था. साथ ही कोर्ट ने पक्षकारों यानी मदरसा बोर्ड, यूपी सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस देते हुए 30 जून 2024 तक जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला प्रथम दृष्टया सही नहीं है. क्योंकि हाईकोर्ट का यह कहना सही नहीं कि ये धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है. खुद यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट में एक्ट का बचाव किया था. हाईकोर्ट ने 2004 एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया.

हाईकोर्ट का कहना है कि यदि आप धार्मिक विषय पढ़ाते हैं तो यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि धार्मिक शिक्षा का अर्थ धार्मिक निर्देश नहीं है।

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