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सुल्तानपुर-(बर्निंग-कांड को अंजाम)-प्रेमिका के साथ जिंदगी बिताने के चक्कर मे अपने को मृतक साबित करने के मामले में कोर्ट का आया बड़ा फैसला।

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सुलतानपुर। सेक्रेट मास्टर प्लान तैयार कर कथित द्वारिकानाथ शुक्ल की हत्या की वारदात को अंजाम देने के बहुचर्चित मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जयप्रकाश पाण्डेय की अदालत में सुनवाई आज। करीब पांच माह पहले जेल गये मुख्य आरोपी विक्रांत वर्मा व उसके दो साथियों के खिलाफ आरोप तय किये जाने के बिंदु पर सुनवाई आज। प्रेमिका के साथ कहीं दूर जाकर जिंदगी बिताने के चक्कर मे दुनिया की नजर में अपने को मृतक साबित करने के लिए विक्रांत के जरिये साथियों संग मिलकर बर्निंग-कांड को अंजाम देने का चर्चित मामला आया था सामने

तत्कालीन थाना प्रभारी श्याम सुंदर की सक्रियता से खुला था यह केस,लेकिन कई सवालों पर फंसा था पेंच। जिनके हटने के बाद थाना प्रभारी बनें सत्येंद्र कुमार सिंह ने तीनों आरोपियों के खिलाफ भादवि की धारा-302,201,120 बी में आरोप-पत्र किया है दाखिल। बर्निंग-कांड में जले व्यक्ति को द्वारिकानाथ शुक्ल का ही शव होने का पुलिस कर रही दावा,फिलहाल उपलब्ध साक्ष्यो के आधार पर मात्र सम्भावनाओ पर ही अभी टिकी है पुलिस की पूरी कहानी। विक्रांत के मास्टर प्लान में बर्निंग कांड का शिकार हुए व्यक्ति का शव द्वारिकानाथ शुक्ल का ही या और किसी का,सस्पेंस आज भी बरकरार। शव की वास्तविक शिनाख्त के लिए डीएनए जांच की अभी नहीं मिल सकी है रिपोर्ट,जिसका जिक्र चार्जशीट में करते हुए पुलिस ने कोर्ट से मांगा है समय। डीएनए जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही द्वारिकानाथ शुक्ल का शव होने अथवा न होने की बात से उठ सकेगा पर्दा

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पूर्व में सामने आई कहानी के मुताबिक विक्रांत वर्मा का लीक हो गया था सेक्रेट मास्टर प्लान। प्रेमिका को पाने व कर्ज से उबरने का बिगड़ गया पूरा खेल। गहरी साजिश रचकर द्वारिकानाथ शुक्ल की हत्या कर उसके शव को अपना शव बताकर अपनी मौत साबित करने का प्रयास करने वाला विक्रांत दो साथियों संग पहुँच गया था जेल। पुलिस ने अपनी कहानी कर दी है पेश,पर अब भी कई सवालों पर फंस सकता है पेंच,पुलिस को अभी भी बहुत कुछ करना होगा फेस

मास्टर प्लानर विक्रांत वर्मा की साजिश का शिकार हुए परिजनों ने भी जली लाश को विक्रांत की ही मानकर कोतवाली देहात पुलिस को दी थी घटना की सूचना। पुलिस ने भी परिजनों की सूचना पर भरोसा कर विक्रांत का ही शव मानकर आम जनों की राय का हवाला देकर भरा दिया था पंचायतनामा और पोस्टमार्टम ड्यूटी में लगी टीम ने भी उसी सुर में सुर मिलाकर कर दिया था मनमाना काम और करीब 59 वर्ष के बताए जा रहे सीएचसी ड्राइवर कथित द्वारिकानाथ की उम्र दर्शा दी मात्र 25 वर्ष। यदि मुल्जिमों की जुबानी व पुलिस की कहानी को सच मान लिया जाय तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर उठ रहा सवाल,क्या वैज्ञानिक जांच में भी उम्र का इतना बड़ा आ सकता है अंतर या ड्यूटी में लगे जिम्मेदारो ने हवा में तैयार कर दी थी पीएम रिपोर्ट। दूबेपुर में हुए बर्निंग-कांड के बाद कब्जे में लिए गये शव की पीएम रिपोर्ट पर शुरू से ही उठ रहा सवाल,डॉक्टर अजय सोनी व डॉक्टर नौशाद अहमद की अन्य कर्मियों के साथ पीएम में थी ड्यूटी। डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लगभग 25 साल बताई है मृतक की उम्र। पूरी तरीके से हवा में तैयार दिख रही टीम की पोस्टमार्टम रिपोर्ट। दो-चार साल नहीं बल्कि वास्तविक 59 वर्षीय द्वारिकानाथ के शव की आधे से भी कम यानी पूरे 34 साल कम दर्शाकर मान ली गई थी कथित विक्रांत की लाश। मौत से जुड़े किसी भी मामले में जांच की अहम कड़ी मानी जाने वाली पोस्टमार्टम रिपोर्ट की गम्भीरता का जिम्मेदार डॉक्टरो ने उड़ाया माखौल। क्या मात्र पूरी तरीके से दूसरे के जरिये बताई गई जानकारी पर आधारित होती है पोस्टमार्टम रिपोर्ट,या फिर वैज्ञानिक तरीके से शव से जुड़े सारे तथ्य लाये जाने चाहिए सामने। अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट की उम्र को सही मान लिया जाय तो सिर्फ मौखिक कथन के अलावा द्वारिकानाथ का शव होने का अभी तक पुलिस के पास नहीं है कोई विश्वसनीय साक्ष्य,फिलहाल डीएनए रिपोर्ट सामने आने पर द्वारिकानाथ शुक्ल का शव होने अथवा न होने के सवाल पर सब कुछ हो जाएगा साफ। मात्र जली लाश होने की वजह से सभी ने महज सम्भावनाओ पर आंख मूंद कर किया है काम। जुटाए गए साक्ष्यो के आधार पर ही पुलिस ने दाखिल पीएम रिपोर्ट में विक्रांत के स्थान पर द्वारिकानाथ शुक्ल का नाम अंकित किये जाने सम्बन्धी दी है अर्जी

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मामले में जेल गए दो आरोपियो की सेशन कोर्ट से खारिज हो चुकी है जमानत अर्जी। मात्र विक्रांत वर्मा की तरफ से अभी सेशन कोर्ट में नहीं पेश की है अर्जी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता दिनेश वर्मा के मुताबिक महज सन्देह के आधार पर पुलिस ने उनके मुवक्किलो को बनाया है मुल्जिम। बचाव पक्ष के मुताबिक बरामद शव द्वारिका नाथ का होने व न होने पर अभी है पूर्ण संशय। बचाव पक्ष ने द्वारिकानाथ की मृत्यु साबित होने से संभावित लाभार्थियों पर पुलिस को मिलाकर मनमानी कहानी तैयार कराने की जताई है पूर्ण सम्भावना,फिलहाल उन्होंने कहा हम कोर्ट में समय आने पर साबित करेंगे सारी बात

बीते 17 जनवरी को कोतवाली देहात थाना क्षेत्र स्थित दूबेपुर निवासी विक्रांत वर्मा की जलकर मरने की बात आई थी सामने। सामने आई घटना के अनुसार पिता रमेश वर्मा की तहरीर पर घटना के पांच दिन बाद 21 जनवरी को दर्ज हुआ था बेटे विक्रांत की हत्या व साक्ष्य मिटाने की नीयत से शव जला देने के बावत मुकदमा। मिली जानकारी के मुताबिक शुरुवाती दौर में पुलिस भी घटना को सुसाईड या हादसा मानकर हत्या में नहीं दर्ज करना चाहती थी एफआईआर। परिजनों की मानें तो काफी जद्दोजहद के बाद दर्ज हो सकी थी हत्या की एफआईआर। यही नहीं विक्रांत के परिजनों ने वास्तव में उसकी हत्या मानकर मामले की निष्पक्ष जांच व दोषियों पर कार्यवाही की मांग को लेकर अधिवक्ता दिनेश वर्मा के माध्यम से सीजेएम कोर्ट में दी थी मॉनिटरिंग अर्जी,जिसके क्रम में कोर्ट ने थाने से किया था जवाब-तलब,पर परिजनों को क्या पता था कि उनके जरिये दर्ज कराया गया मुकदमा ही उनके बेटे के लिए बन जायेगा सिरदर्द,हत्या का मुकदमा न दर्ज हुआ होता तो शायद इतनी गहनता से नहीं होती जांच और शायद दबी रह जाती सच्चाई,केस का हो जाता द-इंड। न खुलता विक्रांत वर्मा का घिनौनी साजिश भरा खेल,न खुलती कथित द्वारिकानाथ शुक्ल की हत्या की कहानी। तत्कालीन थाना प्रभारी बन्धुआकला रवींद्र सिंह भी आराम से गुमशुदगी दर्ज कर करते रहते खानापूर्ति

ड्यूटी जाने के बाद बीते 16 जनवरी से गायब द्वारिकानाथ के बेटे राघवेंद्र शुक्ल ने 27 जनवरी को दर्ज कराई थी गुमशुदगी की रिपोर्ट। अयोध्या जिले के खंडासा थाना क्षेत्र स्थित रौतावां गांव का रहने वाला था गुमशुदा सीएचसी ड्राइवर द्वारिकानाथ। सीएचसी- हसनपुर में थी द्वारिकानाथ की तैनाती। पुलिस विक्रांत की हत्या मानकर मामले की करती रही तफ्तीश। जांच के दौरान विक्रांत के सेक्रेट मास्टर प्लान का हो गया लीक आउट,जिसके बाद खुलता गया एक के बाद एक खेल,नतीजतन तीनो साथी पानीपत से हुए गिरफ्तार और करीब पांच पूर्व विक्रांत व उसके साथी शक्तिमान व अनुज साहू निवासी कासगंज पहुँच गये जेल

सुल्तानपुर-रिटायर्ड फौजी के घर लाखों के गहने और नकदी हुई चोरी।

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