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KD NEWS-रोग प्रतिरोधक शक्ति वृद्धि, स्वास्थ्य एवम सुंदरता हेतु “हल्दी” का प्रयोग एक संजीवनी

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रोग प्रतिरोधक शक्ति वृद्धि, स्वास्थ्य एवम सुंदरता हेतु “हल्दी” का प्रयोग एक संजीवनी


लेखक :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

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मनुष्य के जन्म लेने से मृत्यु तक प्रयोग में आने वाली ईश्वर, प्रकृति व आयुर्वेद का यह संजीवनी उपहार हल्दी हमारे जीवन और रसोई के लिए बहुत ही सुखद और उपयोगी केवल एक खाद्य पदार्थ या मशाला ही नहीं बल्कि पूजा पाठ के लिये भी एक पवित्र सामग्री और विभिन्न रोगों में उपचार के लिये एक औषधि के रूप में भी है। हम अपने जीवन में इस हल्दी का नित्य प्रयोग,सेवन, उपभोग करते हैं। हल्दी को घर घर की रसोईं में एक आवश्यक और प्रमुख मसाले के रूप में सदियों से प्रयोग किया जाता चला आ रहा है। बिना हल्दी के न दाल न तो सब्जी और ना ही कुछ विशेष व्यंजन स्वादिष्ट व अच्छा बनाया जा सकता हैं तथा ना ही हमारा स्वास्थ्य अच्छा रह सकता है। इसे मसालों का राजा भी कहा जाता है। हल्दी जहाँ विभिन्न पूजा पाठों और कर्मठों में आदि काल से प्रयोग में लाई जाती चली आ रही है,वहीं विभिन्न रोगों के घरेलू उपचार और वृहद् आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी हल्दी का बहुत बड़ा महत्त्व और अभूतपूर्व योगदान रहा है।
बिना हल्दी के सब है अधूरा,
इसके बिना ना जीवन पूरा।

हल्दी किसी के जन्म के बाद से ही उसकी तेल मालिश और सरसो के बुकवा के साथ ही साथ हल्दी और आटे की भी उबटन बना कर इसका प्रयोग करने से लेकर जीवन के विभिन्न पायदानों पर होने वाले अनेकों शुभ कार्यों में भी हल्दी का प्रयोग होता आया है। शादी व्याह का तो समय आने पर हल्दी की एक पूरी की पूरी रश्म ही करी कराई जाती रही है,जो आज भी हर घर परिवार में विद्यमान है। किसी के मृत्युपरांत भी उसके आत्मा की शांति के लिए किये जाने वाले कई तरह के ऐसे भी कर्मकांड करने होते हैं जिनको करने कराने में विद्वान पंडितों द्वारा अन्य सामग्रियों के साथ ही साथ हल्दी को भी उपयोग में लाया जाता रहा है,और आज भी हो रहा है।
हल्दी में न सिर्फ एक पौष्टिक मसाला का गुण विद्यमान है बल्कि इसमें महा औषधीय गुण भी पाया जाता है। यह बताने वाली कोई।नई चीज नहीं है,इससे सभी परिचित हैं,यह सभी जानते हैं।दादी-नानी के खजाने में तो यह एक अमूल्य वस्तु के रूप में हमेशा पायी गयी है।बचपन के दिनों से आज तक हममें से जब भी कभी किसी को चोट लगी होगी, हमारी दादी-नानी या माता-पिता ने हल्दी का दूध जरूर पिलाया होगा,जो आज भी दिया जाता है। इस गुणकारी हल्दी का रोजाना नियमित प्रयोग हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी अपना बड़ा व अभूतपूर्व योगदान निभाता है।आइये देखते हैं यहाँ इस लेख में हल्दी का हमारे मानवीय जीवन की उत्तम इम्यून क्षमता बढ़ाने,स्वस्थ्य रहने व सुख,दुःख ख़ुशी,गम,सुंदरता व चेहरे का निखार बढ़ाने और हमारे निरोगता में किस तरह एक संजीवनी के रूप में यह हमें अपने गुणों से लाभ पहुंचाती रही है,जिसका हम सभी लोग सदियों से नित्य प्रयोग करते आ रहे हैं।
सर्दी खाँसी जुखाम गले की खराश होने पर घरेलू उपचार के रूप में हम गर्म पानी में एक चुटकी हल्दी डाल कर उसका गरारा कर सकते हैं और उसे पी सकते हैं। एक गिलास दूध में एक छोटा चम्मच हल्दी डाल कर भी पी सकते हैं। इससे हमारे सर्दी,जुखाम,गले की खराश और खांसी में हमें आराम मिलता है। हल्दी नमक और को हम सरसों के तेल में मिला कर उससे मंजन कर सकते हैं,इससे हमारे मसूढ़ों की मालिश भी हो जाती है और वे मजबूत भी होते हैं,साथ ही साथ दाँत भी साफ और चमकदार हो जाते हैं। सिर में,हाथ पाँव या जोड़ों में भी चोट लगने,गुल्ला निकलने और सूजन आ जाने पर सरसों के तेल में थोड़ी हल्दी डाल कर उसे गर्म करके गर्म गर्म प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है। इससे हमें दर्द में तो आराम मिलता ही है सूजन भी कम होती है और धीरे धीरे चोट भी पूरी ठीक हो जाती है।
इसी तरह त्वचा के दाग धब्बे व झांई मिटाने के लिए और सर्दियों के दिनों में अपने चेहरे पर निखार लाने के लिये भी हल्दी और दूध या उसकी मलाई को गेहूं के आटे के चोकर में मिला कर उसका उबटन बना कर लगाया जाता है।इससे शारीरिक सौन्दर्यता बढ़ती है और चेहरे पर निखार आ जाता है। हल्दी को बेसन में भी मिला कर पानी डाल कर उबटन बनाया और नियमित लगाया जा सकता है,इससे भी कुछ दिनों में सभी दाग,धब्बे,झांई साफ हो जाते हैं और त्वचा साफ व आकर्षक हो जाती है।इस प्रकार चर्म की विभिन समस्याओं का अच्छा घरेलू उपचार हो जाता है और बिना किसी चिकित्सक के परामर्श के इन समस्याओं से निजात भी मिल जाता है।
हल्दी में मेलाटोनिन हार्मोन को बढ़ाने वाला भी एक विशेष गुण होता है,जिससे नींद न आने की समस्या से जूझ रहे लोगों को यदि दूध में हल्दी पाउडर डाल कर रात में सोते समय पीने को दिया जाये तो उन्हें नींद भी जल्दी आएगी और सुबह उठने पर वे बिलकुल तरोताजा और ऊर्जा तथा स्फूर्ति भी भरा महसूस करेंगे।
आयुर्वेद के जनक महर्षि धनवंतरी जी ने हल्दी के प्रयोग को विभिन्न रोगों के रोगियों के उपचार और रोगों से निदान प्राप्ति व इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने हेतु हल्दी को एक रामबाण औषधि के रूप में बताया है। चरक संघिता में भी प्राकृतिक हल्दी के नियमित सेवन व प्रयोग को विभिन रोगों के सही उपचार और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए सर्वोत्तम बताया गया है।
अतः प्राचीन काल से ही हल्दी का विभिन्न रूप में उपयोग और उपभोग होता आ रहा है। दादी-नानी के खजाने में भी यह हल्दी और हल्दी पाउडर एक डॉक्टर के रूप में अपना महत्वपूर्ण स्थान सदियों से रखता चला आ रहा है,जो आज भी उतना ही उपयोगी है। मनुष्य द्वारा विभिन्न नुकसानदायक और स्वास्थ्य की दृष्टि से अहितकर चीजों के लगातार इस्तेमाल से आगे चलकर उसके धमनियों में हो रहे सही रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो जाती है और खून में गाढ़ापन होने लग जाता है। खून के गाढ़ा हो जाने से हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ने के खतरे बढ़ जाते हैं,इसके साथ ही साथ कई अन्य प्रकार की दिल की बीमारियाँ भी उत्पन्न हो जाने का अंदेशा बन जाता हैं। हल्दी के किसी न किसी रूप में नियमित प्रयोग से हमारे शरीर का रक्त गाढ़ा नहीं होने पाता,जिससे रक्त शुद्ध रूप से हमारे शरीर की धमनियों में सुचारु रूप से अपना रक्त प्रवाह बनाये रखता है और ह्रदय संबंधी बीमारियां भी नहीं होने देती है। हल्दी शरीर और रक्त में मौजूद विषाक्त और हानिकारक अनावश्यक पदार्थो को भी हमारे शरीर से बाहर निकालने में सहायक होती है। विभिन चिकित्सा विशेषज्ञों के एक अध्ययन से वर्तमान समय में तो यह भी निष्कर्ष निकल कर सामने आया है कि हल्दी दूध के प्रयोग और सेवन करने से सर्जरी के बाद होने वाले हृदयाघात यानी हार्ट अटैक को भी काफी हद तक टाला जा सकता है। इससे मनुष्य को बचाया जा सकता है।

आज के वर्तमान समय में ज्यादातर इंसान किसी न किसी बीमारी से जरूर ग्रसित है खासकर 40 वर्ष के ऊपर के लोग,जिसमे मधुमेह होना एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है। इसका प्रमुख कारण लोगों की भाग दौड़ भरी जिंदगी और उनकी मानसिक चिंताये तो हैं ही,कहीं न कहीं लोगों कि अनियमित और गलत जीवन शैली तथा खान पान की अनुपयुक्त आदतें भी इसका मूल कारण है,जो इस बीमारी डाइबिटीज या मधुमेह के खतरे को और बढ़ा देता है। स्वस्थ्य और निरोग जीवन के लिए स्वस्थ्य और संतुलित खान पान के साथ हल्दी का भी यदि हम अपने भोजन या दूध के साथ नित्य प्रयोग करते रहें तो इस बीमारी के खतरे को कुछ कम अवश्य किया जा सकता है। हल्दी का उपयोग व सेवन करने से डायबिटीज का खतरा तो कम होता ही है साथ ही साथ मधुमेह के कारण मरीज के जीवन में होने वाले अन्य जोखिमों और खतरों से भी वह अपने आप को बचा के रख सकता है। चूँकि हल्दी में क्यूरक्यूमिन भी पाया जाता है जो हमारे शरीर में पित्त उत्पादन को एक्टिवेट करता है और बने हुये पित्त रस द्वारा पाचन क्रिया को बढ़ाता है तथा खाये हुए भोज्य पदार्थ को बड़े आसानी से पचाता है।इससे शरीर में अपच,गैस,डकार और पेट फूलने या सूजन होने की समस्या नहीं होती है। मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी अच्छी बढ़त मिलती है तथा हमको स्वस्थ्य रखती है।
विशेषज्ञों की राय में हल्दी का नियमित सेवन करने से हम अपने शरीर की इम्यून सिस्टम को बजबूत कर सकते हैं और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं,जो किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए प्रत्येक मनुष्य या प्राणी के लिए बहुत जरुरी होती है।
हल्दी में लिपोपालीसेकराइड नामक एक ऐसा विशेष पदार्थ होता है जिसमे एंटी-बैक्टीरियल,
एंटी-वायरल और एंटी-फंगल एजेंट होते हैं, जो
हमारे शरीर की इम्यूनिटी को संवृद्धि और बूस्ट करने का काम करते हैं। हल्दी के सेवन और उपभोग को अपने दिनचर्या में शामिल कर के
हम अपने बॉडी की इम्युनिटी को और अधिक बढ़ा सकते है,साथ ही साथ जीवन में होने वाले विभिन्न रोगों का उपचार पा सकते हैं और इस प्रकार की होने वाली बीमारियों से निजात भी
पा सकते हैं।
इस लिये ईश्वर व प्रकृति द्वारा प्राप्त तथा विभिन्न ऋषियों मुनियों एवं आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा शोध करके निकाले गए निष्कर्षों और दिए गए परामर्शों से दैनिक जीवन में इस दिव्य उपहार स्वरूप प्राप्त हल्दी का नियमित सेवन और इसका प्रयोग करें। अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करते हुए सुन्दर स्वस्थ्य व निरोग बने रहें। नोवल कोरोना वायरस से व्याप्त इस वैश्विक महामारी की वर्तमान विषम स्थिति परिस्थिति में इससे लड़ने और जीतने के लिए अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को हल्दी से बढ़ा कर इसपर विजय प्राप्त करें। कोरोना के भय को दिल दिमाग से बाहर निकाल कर स्वस्थ्य जीवन जियें।

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स्वार्थ के धरातल पर कार्य जो हैं करते


रचयिता :

डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

स्वार्थ के धरातल पर कार्य जो हैं करते,
उनका पतन सुनिश्चित है पड़े रहें करते।

चापलूसी प्यारी उन्हें आगे पीछे हैं रहते,
आम को इमली,इमली को आम कहते।

देखाहै ऐसा मैंने ज्यादातरहैं लोग करते,
अपना जमीर कोई नहीं हाँहुजूरी करते।

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कहदो बुरा है लगता सिद्धांतवादी बनते,
अपनी चालाकी में मुखिया संग हैं रहते।

दांवपेंच करते करवाते निश दिन हैं रहते,
दुनिया के नजरों से गिरने पर हैं संभलते।

बाजी जबकोई उनकी उलटी पड़ जाती,
नुक्स खोटमें वैसे कुछन निकलके आती।

तभीतो आताहै कोई ऊंट पहाड़ के नीचे,
सांसत में जान डालके अपना हाथ खींचे।

जो इज्जत है सब के साथ बैठने उठने में,
मिलती नहीं कभी वैसी चापलूस बनने में।

स्वाभिमान ईमानदारी से अपना कर्म करें,
ड्यूटीफुल रहते हैं तो किसी से काहे डरें।

ऊपर वाला सब देख रहा है हमारा करना,
जबतक वोना रूठे कुछभी नहीं बिगड़ना।

रचयिता

लेखक :

डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
पूर्व जनपदीय अधिकारी
फ़ेमिली प्लांनिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया-मुंबई

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