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29वर्षीय महिला ने IITN, IPS, और फिर IAS की सफलता की हासिल,देखे रिपोर्ट।

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कहते है देश मे भारतीय प्रशासनिक सेवा विभाग ब्यूरोक्रेसी से सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है। इसी को ध्यान में रख कर देश के उम्मीदवार विभिन्न मंत्रालय और विभाग में सचिव स्तरीय पद प्राप्त करते हैं। तो वहीं जनपद स्तर पर डीएम और विभिन्न प्राधिकरणों में आयुक्त पद पर काबिज हो कर अपना नाम रोशन कर रहे हैं। यही कारण है कि प्रत्यके वर्ष लाखों युवाओ का रुझान संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) में अपनी किस्मत आजमाते देखे जाते है।लेकिन फिलहाल सभी को सफलता नशीब नही होती हैं यह सारी बाते यहां रखने का आशय अलग है हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के खरगोन की 29 वर्षीय गरिमा का जिसने पहले आईआईटीयन फिर आईपीएस और आईएएस कर सफलता हासिल की आइये हम बताते हैं कि कैसे होनहार महिला ने यह मुकाम हासिल किया।

थोड़ी थोड़ी जानकारी के साथ आगे की दे रहे हैं जानकारी,महिला ने कैसे पाई यूपीएससी में सफलता

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गौरतलब हो कि सभी को सफलता नसीब नहीं हो पाती है। लेकिन कहावत चरितार्थ होती है “होनहार वीरवान के होत चिकने पात” और हुच होनहार ऐसे भी होते हैं, जो अपने पहले ही प्रयास में इस मुकाम को हासिल कर परीक्षा को क्लीयर कर लेते हैं। ऐसी ही एक होनहार हैं भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी गरिमा अग्रवाल है।

बताते चले कि मध्यप्रदेश के खरगोन की 29 वर्षीय गरिमा ने (UPSC) के अपने पहले ही प्रयास में (IPS) की रैंक पाकर सफलता उसकी कदम चुम लिया।लेकिन लगता था कि उसका यह मुकाम नही था इस लिए फिर से तैयारी की और दूसरे ही प्रयास में (IAS) बनने का सपने को साकार कर दिया।

अपना ख्वाब किय पूरा । आइए जानते हैं आईएएस गरिमा की सफलता की कहानी ..

कहते है इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में पैसा, शोहरत, रूतबा और दबदबा सब कुछ बना रहता है इस ख्वाब के साथ कई युवा आगे आते है। लेकिन पहली बात तो यह समझने की कि हैं सिविल सेवा परीक्षा को पास कर पाना सबके कुब्बत की बात नहीं होती है। दूसरा किसी तरीके से अगर आपने पास भी कर लिया तो अच्छी रैंक पाकर भी आईएएस बनना बड़ा मुश्किल काम है।

गरिमा ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए कई अहम टिप्स दिए हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान गरिमा अग्रवाल ने अवगत कराया। अभी तेलंगाना में प्रशिक्षण के लिए गरिमा अग्रवाल सहायक जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं।

यूपीएसपी की सिविल सेवा परीक्षा देने के पहले गरिमा आईआईटी हैदराबाद से पढ़ाई कर चुकी हैं। गरिमा ने दिल्ली नॉलेज ट्रेक को दिए एक इंटरव्यू में अपने आईआईटी से लेकर आईपीएस और फिर आईएएस बनने के सफर की कहानी के सफर को साझा किया।


गरिमा खरगोन के सरस्वती विद्या मंदिर से शुरुआती पढ़ाई शुरू की और पढ़ाई में मेधावी रही। गौरतलब हो कि उनकी बड़ी बहन प्रीति अग्रवाल ने भी 2013 में भारतीय डाक सेवा की परीक्षा पास की थी।

गरिमा ने स्कूल से लेकर यूपीएससी सिविल सेवा तक भी में जहां कही भी या जिस क्षेत्र में भी कदम रखा, वहां सफलता का झंडा जरूर गड़ा।

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गरिमा ने यूपीएससी सीएसई एग्जाम में पहली ही बार में 240वीं रैंक पाकर आईपीएस अधिकारी बन गई लेकिन अगले के फिर प्रयास में सीएसई एग्जाम में 2018 में उन्होंने अपनी अधिक मेहनत के बलबूते न केवल 40वीं रैंक हासिल की बल्कि अपने आईएएस ऑफिसर बनने का ख्वाब भी पूरा कर लिया। इसके बाद उन्होंने 2019-2020 में एलबीएस अकादमी, मसूरी में अपना प्रशिक्षण पूरा किया।

गरिमा के अनुसार, सबसे पहले तो इस बात को दिमाग में रख लें कि प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की तैयारी अलग-अलग न करके संयुक्त तौर पर करनी चाहिए।

यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को गरिमा ने सफलता के मंत्र कई अमूल्य दिए सुझाव।

गरिमा के अनुसार, यूपीएससी प्री परीक्षा में आने वाले प्रश्न भी कई बार मुख्य परीक्षा में आ जाते हैं। इसीलिए रिवीजन करना जरूरी है। सिर्फ बहुत सारा स्टडी मटैरियल जुटाने से ही सफलता नहीं मिलती, उसे पढ़ना होता है। याद करना होता है। मॉक टेस्ट देने चाहिए। साथ ही साथ आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस कर स्पीड भी बढ़ाएं।

गरिमा के अनुसार, सबसे पहले प्री की परीक्षा को टारगेट बनाना चाहिए। अगर यही बाधा पार नहीं हुई तो आगे की सारी तैयारी धरी की धरी रह जायेगी। दोनों परीक्षाओं की साथ-साथ तैयारी करनी चाहिए। क्योंकि बाद में मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए समय नहीं मिल पाएगा। लेकिन फोकस प्री पर जरूर रहे।पाठ्यसामग्री इंटरनेट पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। बकौल गरिमा ने बताया कि , मैं खुद जिन विषयों में नंबर कम आते थे, उनकी अलग से प्रैक्टिस करती थी। उन्हें रिवाइज करती थी।

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को टिप्स देते हुए आईएएस गरिमा ने कहा कि इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए सबसे जरूरी धैर्य और निरंतरता है। अपने मन को ऐसे तैयार करें कि जिस दिन पढ़ने की इच्छा न हो उसी दिन अच्छे से पढ़कर दिखाएं और देखें कि कैसे आपके अंदर नया साहस पैदा होता है।

जिन लोगों से आपको प्रेरणा और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है उनके संपर्क में जरूर रहें। नकारात्मक विचारों वाले लोगों से दूरी बनाना सर्वोत्तम रहता है।

आगे बताते हुए गरिमा ने बताया कि सफल होना है या विफलता दोनों हमारे दिमाग में ही होती हैं, अगर हम मन में ठान लें तो कुछ भी हासिल करना सम्भव नही होता है।


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