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(#ITBP) #सिपाही बनने का #सपना लेकर टेस्ट देने पहुंचे एक युवक को #टैटूबनवाना पड़ा #महंगा,देखे #रिपोर्ट।

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आज के दौर में लोगों में टैटू बनवाने का काफ़ी ट्रेंड है, ख़ासकर युवाओं में. ये निजी पसंद का मामला है, जो टैटू बनवाने वाले को लोगों का आकर्षण बना सकती है, लेकिन कभी-कभी नुकसान भी पहुंचा सकती है. सिपाही बनने का सपना लेकर टेस्ट देने पहुंचे एक युवक के साथ नुकसान वाली बात हो गई. खबर के मुताबिक युवक ITBP यानी इंडो-टिबेटन बॉर्डर पुलिस का इंटरव्यू देने गया था. लेकिन ITBP ने युवक को इस वजह से रिजेक्ट कर दिया क्योंकि उसके दाहिने हाथ पर एक टैटू बना हुआ है. ITBP के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ युवक ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. लेकिन कोर्ट से भी उसे निराशा हाथ लगी. 26 नवंबर को उसकी याचिका ख़ारिज कर कोर्ट ने ITBP के फ़ैसले पर मुहर लगा दी।

जानते हैं आख़िर क्यों सैन्य बलों की नौकरियों में टैटू पर प्रतिबंध है, और क्यों कुछ विशेष मामलों में रियायतें दी जाती हैं. ये भी बताएंगे की टैटू बनाने की वजह से कौन सी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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पहले जानते हैं कि इस युवक का क्या मामला है. 2018 में ITBP ने नौकरियों का एक नोटिफ़िकेशन निकाला था. विकास कुमार नाम के एक व्यक्ति ने इसके लिए अप्लाई किया. उसने कॉन्स्टेबल (ड्राइवर) पद के लिए आवेदन किया था. लिखित एग्ज़ाम विकास ने पास कर लिया. उनके सारे दस्तावेज भी ठीक पाए गए और उन्होंने प्रैक्टिकल यानी कि स्किल टेस्ट भी पास कर लिया. लेकिन उन्हें इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया गया. कारण ये बताया गया कि उनके दाहिने हाथ में एक टैटू है, जो सैल्यूट करते वक़्त नज़र आता है. इस वजह से उनका चयन नहीं किया जा सकता।

ITBP के इस फ़ैसले को विकास ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी. विकास ने चुनौती देते हुए कहा कि टैटू की वजह से उनका चयन नहीं करना आर्मी के नियमों का उल्लंघन था. लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने विकास की दलील को ग़लत मानते हुए कहा,

इस आधार पर कोर्ट ने ITBP के आदेश को बरकरार रखा।

ITBP ने अपने नोटिफ़िकेशन में टैटू को लेकर तीन बातें साफ़-साफ़ कही हैं. इसमें कुल 3 सेक्शन हैं।

पहले सेक्शन में टैटू कॉन्टेंट को लेकर बताया गया है. इसमें लिखा है।

“क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इस वजह से हमारे देशवासियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. और इस प्रकार, भारतीय सेना द्वारा माने जाने वाले सारे धार्मिक प्रतीक या आंकड़े और नाम के वाले टैटू की अनुमति है।

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तीसरा है टैटू का आकार. टैटू शरीर के अंग विशेष यानी कि कोहनी या हाथ के एक चौथाई से कम होना चाहिए।

अब आपको थोड़ा पीछे लेकर चलते हैं. विकास ने दिल्ली हाई कोर्ट में ये कहा था कि उनका टैटू आर्मी के नियमों के मुताबिक़ ठीक है. तो अब आर्मी के नियमों पर आते हैं. 6 साल पुरानी बात है. 11 मई, 2015 को SSB (सशस्त्र सीमा बल) ने कैंडिडेट की बॉडी में पर्मानेंट टैटू के लिए एक नोटिफ़िकेशन जारी किया था. इस नोटिफ़िकेशन के मुताबिक़ सभी जनजातियों के लोगों को शरीर के किसी भी हिस्से में टैटू बनाने की अनुमति है. बस इसके लिए डीएम/SDM, जनजाति के सेक्रेटेरी या अध्यक्ष और सिलेक्शन कमेटी के कमांडैंट से क्लियरेन्स लेना होगा।

बाक़ी सभी लोगों को शरीर के कुछ विशेष जगहों पर ही टैटू बनाने के अनुमति है. जैसे कि हाथ के अगले हिस्से में टैटू बनाने की इजाज़त है. हथेली के पीछे के हिस्से में टैटू बना सकते हैं. वहीं टैटू के आकार पर कुछ भी नहीं कहा गया है. लेकिन आगे बताया गया है कि धार्मिक चिह्न या नाम के टैटू पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

इन सब के बावजूद सेलेक्शन कमेटी के पास किसी भी कैंडिडेट के चयन पर निर्णय लेने का अधिकार है।

ये तो हो गई नियमों की बात. अब आते हैं हेल्थ इशू पर. टैटू बनवाने से शरीर को क्या नुकसान हो सकता है, ये बेहतर तरीक़े से समझने के लिए हमने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस में इंटर्नल मेडिसिन के डॉ. संजीव से बात की. वे बताते हैं कि भारत में टैटू बनाने वाली जगहें गांव या मेले में भी होती हैं. ऐसी जगहों पर जिस मशीन या सुई का इस्तेमाल किया जाता है उसे ठीक तरह से सैनिटाइज़ नहीं किया जाता, जिससे हेपेटाइटिस सी के संक्रमण का ख़तरा होता है. इसके अलावा हेपेटाइटिस बी और HIV संक्रमण का ख़तरा भी होता है।

संजीव आगे बताते हैं कि हेपेटाइटिस सी के इन्फ़ेक्शन के बारे में अक्सर लोगों को जानकारी भी नहीं होती है. उन्होंने कहा,

कई बार बहुत सारे टेस्ट के बाद ये पता चलता है कि पेशंट को हेपेटाइटिस सी है. जो आम तौर पर ब्लड टेस्ट से नहीं पता चलता. लिवर के अल्ट्रा-साउंड से ये चीज़ें साफ़ होती हैं. इस वजह से ऐसे लोग अगर किसी को खून दें तो उन्हें ये बीमारी फैलने का ख़तरा होता है. कुछ मामलों में कैंसर का भी ख़तरा होता है. इस बीमारी के फैलने की एक प्रमुख वजह टैटू बनाने से जुड़ी है. इस वजह से टैटू वाले लोग हमेशा एक सस्पेक्टेड पेशंट की कैटेगरी में होते हैं।

यानी ये एक प्रमुख कारण है कि टैटू वाले लोगों को कई नौकरियों में प्रतिबंधित किया जाता है और इसमें सैन्य सेवा से जुड़ी नौकरियां भी अपवाद नहीं हैं।

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