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मायावती की चाल से सपा का समीकरण गड़बड़ाया,दलित-मुस्लिम का दस मेयर किया घोषित।

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UP Nagar Nikay Chunav 2023

बसपा मुस्लिम उम्मीदवारों को अधिक टिकट देकर एक बार फिर दलित-मुस्लिम का समीकरण बनाकर बाजी मारने की फिराक में ।

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तो वही वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अमोदकांत मिश्रा का कहना कि बसपा की इस रणनीति से सपा का समीकरण गड़बड़ हो सकता हैं।

यूपी निकाय चुनाव में बसपा (BSP) मुस्लिम उम्मीदवारों को अधिक टिकट देकर एक बार फिर दलित-मुस्लिम का समीकरण बनाकर बाजी मारने की फिराक में है. मायावती ने मेयर के लिए घोषित 10 में छह मुस्लिम व तीन अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतार कर अपने पत्ते खोल दिए हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो बसपा पिछले विधानसभा और उससे पहले लोकसभा चुनाव में अपने घटे जनाधार से काफी परेशान है. इसी कारण एक बार फिर उसने अपनी रणनीति बदलकर दलितों और मुसलमानों को एकसाथ लाने में जुटी है।

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बसपा ने दस में से 6 मुस्लिम महापौर उम्मीदवार उतारकर कर अपना इरादा किया साफ।

अंदर खाने के बसपा नेता की मानें तो बसपा ने दस में से 6 मुस्लिम महापौर उम्मीदवार उतारकर यह साफ कर दिया है कि उसका फोकस मुस्लिम और दलित गठजोड़ की तरफ है. इससे मुकाबला काफी कड़ा होने वाला है. पिछले चुनाव के समीकरण को देखें तो पता चलता है कि आगरा, झांसी और सहारनपुर में पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी. दलितों का हमारी पार्टी के प्रति अटूट विश्वास है. इसलिए वो हमारे पाले में रहेंगे. मुस्लिमों ने सपा के साथ रहकर देख लिया है. उन्हे कुछ नहीं मिला है. इसलिए वो जानते हैं कि बसपा में उनका भविष्य सुरक्षित है।

2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने 88 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे।लेकिन–

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अमोदकांत मिश्रा कहते हैं कि बसपा की इस रणनीति से सपा का समीकरण गड़बड़ हो सकता है. चूंकि सपा का भरोसा मुस्लिम पर बहुत रहता है।विधानसभा चुनाव के बाद से ही मायावती मुस्लिम वोटर्स पर डोरे डाल रही हैं. उनके अधिकतर बयानों में सपा से मुस्लिमों को सचेत करती दिखती हैं. इसीलिए निकाय चुनाव में बसपा, दलित और मुस्लिम एक करके यह समीकरण देखना चाहती है, अगर यह पर प्रयोग सफल होता है. इसी को वह लोकसभा चुनाव में भी लागू कर सकती हैं।
आमोदकांत आगे कहते हैं कि साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने 88 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि एक भी नहीं जीता।

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