भारत में वित्तीय सुधारों की बड़ी अपडेट: टैक्स कलेक्शन बढ़ा, GST दरों में बदलाव।

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🏛️ ताज़ा वित्तीय समाचार

  1. डायरेक्ट टैक्स संग्रह में वृद्धि
    भारत सरकार ने बताया है कि इस वित्तीय वर्ष (अप्रैल से 17 सितंबर 2025 तक) नेट डायरेक्ट टैक्स संग्रह में लगभग 9.18% की वृद्धि हुई है, जो ₹10.82 लाख करोड़ से अधिक हो गया है।

ग्रॉस कलेक्शन भी बढ़ा है।

टैक्स रिफंड्स पिछले वर्ष की तुलना में कम हुए हैं।

  1. GST सुधार: कर दरों में बदलाव
    सरकार ने GST व्यवस्था में बदलाव की अधिसूचना जारी की है, जिसमें 22 सितंबर 2025 से नए CGST/SGST दर लागू होंगी।

अनुमान है कि इससे अर्थव्यवस्था में तकरीबन ₹2 लाख करोड़ की “इनजेक्शन” होगी — यानी कर दरों में कटौती / सरलीकरण से लोगों की ख़रीदारी और मांग बढ़ेगी।

  1. राज्यों को 50 साल के ब्याज-मुक्त ऋण की मंज़ूरी
    केंद्र सरकार ने “Special Assistance to States for Capital Investment (SASCI)” योजना के तहत राज्यों को ₹3.6 लाख करोड़ से अधिक ब्याज-मुक्त ऋण देने की अनुमति दी है।

उद्देश्य है कि राज्य अपने पूँजीगत व्यय (Capital Expenditure) को बढ़ाएँ।

  1. RBI का आह्वान: वित्तीय अनुशासन व राज्य उधारी कैलेंडर
    भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर ने राज्यों से कहा है कि वे उधारी कैलेंडर का सख्ती से पालन करें और बजट व्यय में गुणवत्ता पर ध्यान दें।

off-budget borrowings (बजट के बाहर की उधारी) को नियंत्रित करने का सुझाव दिया गया है।

  1. निवेश विस्तार और व्यापार वृद्धि की प्रोत्साहना
    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत से आग्रह किया है कि वे इस समय निवेश बढ़ाएँ व उत्पादन क्षमता का विस्तार करें।
  2. राजस्थान एवं बुंदेलखंड में खनन ब्लॉकों की नीलामी
    उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने खनन विभाग के माध्यम से लकड़ी, लौह अयस्क, सोना आदि खनिजों के बड़े ब्लॉकों की निजी कंपनियों को नीलामी में आवंटन किया है।

इससे खनन क्षेत्र में राजस्व बढ़ने की उम्मीद है।


🔍 विश्लेषण एवं प्रभाव

राजस्व में मजबूती: टैक्स संग्रह एवं GST सुधार से केंद्र एवं राज्य दोनों के राजस्व में बढ़ोतरी होगी।

उपभोक्ता शक्ति बढ़ेगी: कर दरों में कटौती से उपभोक्ताओं के हाथ में खर्च की क्षमता बढ़ेगी, जिससे मांग में वृद्धि की संभावना है।

राज्य सरकारों की पूँजीगत योजनाएँ सशक्त होंगी: ब्याज-मुक्त ऋण मिलने से राज्य बिना बोझ बढ़ाए निवेश कर सकेंगे और आधारभूत संरचनाएँ सुधार सकेंगे।

वित्तीय स्थिरता पर ध्यान: RBI का फोकस राज्यों की उधारियों और खर्चों के संतुलन पर है, ताकि दीर्घकालीन आर्थिक दबाव न बने।

निजी क्षेत्र को अवसर: निवेश बढ़ाने का माहौल बनने से उद्योग, स्टार्टअप्स, निर्माण और अन्य क्षेत्रों में नये अवसर आएँगे।

स्थानीय विकास व रोजगार: जैसे खनन ब्लॉकों की नीलामी आदि से स्थानीय स्तर पर काम मोके मिलेंगे, आर्थिक क्रियाएँ बढ़ेंगी।

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