भारत में बीमा सेक्टर की ताज़ा अपडेट: FDI लिमिट, GST छूट और InsurTech
🛡️ भारत में बीमा (Insurance) सेक्टर की ताज़ा स्थिति
बाज़ार की प्रमुख झलकियाँ
- FDI लाइमिट में बदलाव
बजट 2025-26 के तहत सरकार ने बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा 74% से बढ़ा कर 100% कर दी है, शर्त यह है कि निवेश द्वारा लिए गए प्रीमियम का बड़ा हिस्सा भारत में निवेश हो। इस कदम से बीमा कंपनियों में पूंजी एवं विशेषज्ञता आने की उम्मीद है। - ग्रॉस प्रीमियम का भविष्य-विस्तार
Insurance Brokers Association of India (IBAI) और McKinsey की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का कुल “ग्रॉस लिखित प्रीमियम” (GWP) 2024 में लगभग ₹11.2 लाख करोड़ था, जो 2030 तक लगभग ₹25 लाख करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। इस बीच, बीमा पहुँच (insurance penetration) भी वर्तमान 3.7% से बढ़कर लगभग 5% तक हो सकती है। - नॉन-लाइफ बीमा की वृद्धि
• जून 2025 में भारत की नॉन-लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम में 5.2% की सालाना वृद्धि हुई, जून 2024 की तुलना में।
• पूरी FY25 के लिए, अधिकांश वृद्धि “मूल्य-आधारित” रही, नए पॉलिसीधारकों की संख्या से कम, अर्थात् प्रीमियम की राशि बढ़ी है, लोगों ने महंगी पॉलिसियाँ ली हैं और क्लेम/पुष्टि राशि (sum insured) अधिक ली जा रही है। - InsurTech का विकास और चुनौतियाँ
• भारतीय insurtech कंपनियों ने पिछले पाँच वर्षों में लगभग 12-गुना राजस्व वृद्धि दर्ज की है, और कुल फंडिंग $2.5+ बिलियन हो चुकी है।
• लेकिन निवेश (funding) में गिरावट देखी गई है; उदाहरण के लिए, 2023 में insurtech फंडिंग लगभग 40% कम हो गयी थी। - जीएसटी छूट और पॉलिसीधारक प्रतिउत्तरों की संभावनाएँ
हाल ही में फैसला लिया गया है कि लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर लागू GST को हटाया जाएगा।
LIC ने इस छूट के पहले दिन ही ₹1,100 करोड़ से अधिक प्रीमियम इन्फ्लो दर्ज किया।
हालांकि, विशेषज्ञ लोगों का कहना है कि पॉलिसीधारकों को इस छूट का पूरा फायदा नहीं मिल सकेगा क्योंकि बीमाकर्ता (insurers) इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) खो देंगे, और इस लागत को प्रीमियम में शामिल करना पड़ सकता है। - नियोक्ताओं, उत्पादन और लाभ की चुनौतियाँ
स्वास्थ्य बीमा (health insurance) क्षेत्र में प्रीमियम वृद्धि धीमी हुई है, विशेष रूप से मेडिकल महंगाई (medical inflation) के कारण। FY25 में स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम वृद्धि दर घटकर लगभग 9% रही, जो कि पिछली दर की तुलना में काफी कम है।
मोटर बीमा, PV (passenger vehicle) बीमा आदि में भी वृद्धि कम-मीट-मीट हो रही है। - नियमों एवं नियामकीय नेतृत्व में बदलाव
• Ajay Seth को IRDAI (Insurance Regulatory & Development Authority of India) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, तीन-वर्ष के कार्यकाल या 65 वर्ष की आयु तक।
• कुछ राज्य सरकारें नए बीमा योजनाएँ ला रही हैं—उदाहरण के लिए केरल ने “Norka Care” स्कीम शुरू की है, जो विदेशों में रहने वाले मलयाली नागरिकों के लिए स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा कवर प्रदान करेगी।
🔍 असर और आगे की संभावनाएँ
GST छूट और FDI सीमा में बदलाव से बीमा कंपनियों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और विदेशी निवेश आकर्षित होगा।
स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा में उपभोक्ता-स्वीकृति बढ़ सकती है, खासकर मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों में।
Insurtech क्षेत्र में नवाचार बढ़ेगा, विशेषकर डिजिटल वितरण, दावा निपटान (claims settlement) प्रक्रिया, और प्रौद्योगिकी-आधारित जोखिम आकलन (risk assessment) में।
लेकिन प्रीमियम लागत, चिकित्सा महंगाई और ITC के नुकसान जैसे कारक बीमाकर्ताओं और पॉलिसीधारकों दोनों के लिए चुनौतियाँ बनाए रखना जारी रखेंगे।
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भारत में निवेश का उछाल: FDI रिकॉर्ड स्तर पर, नियमों में सुधार और नए अवसर
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