RBI ने बैंकों की पूंजी-बाज़ार एवं अधिग्रहण-वित्तपोषण पर प्रस्तावित सीमाएं जारी
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Reserve Bank of India (RBI) ने बैंकों की पूँजी-बाज़ार और अधिग्राहण-वित्तपोषण (acquisition financing) के जोखिम को नियंत्रित करने के लिए ड्राफ्ट सर्कुलर जारी की है। इस प्रस्तावित दिशा-निर्देश के अनुसार:
बैंकों की सीधी पूँजी-बाज़ार एवं अधिग्राहण-वित्तपोषण की पहुँच को उनके Tier 1 पूँजी का अधिकतम 20% तक सीमित किया जाएगा।
संपूर्ण (सीधी + अप्रत्यक्ष जैसे फंड, गारंटी आदि) पूँजी-बाज़ार की पहुँच को Tier 1 पूँजी का 40% तक सीमित करने का प्रस्ताव है।
अधिग्राहण-वित्तपोषण विशेषतः Tier 1 पूँजी का अधिकतम 10% तक हो सकेगा।
इसके साथ ही, अधिग्रहण सौदों के लिए बैंक अब लाभप्रद, सूचीबद्ध (listed) कंपनियों के लिए उप to 70% तक वित्तपोषण कर सकते हैं, बशर्ते लक्ष्य कंपनी की न्यूनतम शर्तें पूरी हों और शेयर-सहारा हो।
प्रमुख अर्थ: यह कदम बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम नियंत्रण की दिशा में माना जा रहा है — विशेष रूप से पूँजी-बाज़ार से उत्सर्जित ऋण, अधिग्राहण लेन-देनों एवं वित्तीय व्युत्पन्न (derivatives) के जोखिमों के मद्देनजर।
प्रभाव:
बैंकों को अब अधिक सतर्क रहना होगा — अधिग्रहण लेन-देनों में पूँजी लगाना आसान नहीं होगा।
जोखिम-प्रबंधन (risk management) के मानदंड सख्त होंगे।
वित्तीय क्षेत्र में स्थिरता की मांग को देखते हुए वैश्विक निवेशकों का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण रहेगा।
पूँजी-बाज़ार तथा अधिग्रहण-वित्तपोषण गतिविधियों में मंदी या पुनर्गठन की सम्भावना हो सकती है, क्योंकि बैंक अब अपने Tier 1 पूँजी का बड़ा हिस्सा जोखिमपूर्ण गतिविधियों के लिए नहीं लगा सकते।
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