पर्यावरण संरक्षण को लेकर संघ ‘गंभीर’,अभियान की शुरुआत
**पर्यावरण संरक्षण को लेकर संघ ‘गंभीर’
मध्य भारत के संयोजक पवैया का सुल्तानपुर दौरा, हर शहर–कस्बे में ‘हरित घर’ अभियान की शुरुआत**
सुल्तानपुर। राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाला विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अब पर्यावरण और पारिस्थितिक असंतुलन को लेकर भी मिशन मोड में सक्रिय हो गया है। संघ ने देशभर में पर्यावरण जागरूकता और संरक्षण के लिए एक विस्तृत अभियान शुरू किया है, जिसके अंतर्गत प्रांतीय और क्षेत्रीय प्रचारक जमीनी स्तर पर जनपदों का भ्रमण कर समाज को जोड़ रहे हैं।
इसी क्रम में आरएसएस के पर्यावरण संरक्षण गतिविधि संयोजक (मध्य भारत क्षेत्र—मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व उत्तर प्रदेश) वरिष्ठ प्रचारक धीर सिंह पवैया मंगलवार को दो दिवसीय प्रवास पर कुशनगरी सुल्तानपुर पहुंचे। उन्होंने नगर के पर्यावरण प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय बौद्धिक वर्ग से संवाद स्थापित किया।
वरिष्ठ प्रचारक पवैया ने वरिष्ठ पत्रकार व अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के प्रांतीय उपाध्यक्ष विक्रम बृजेंद्र सिंह के आवास पर आयोजित “हरित सम्मेलन” को संबोधित किया। इस अवसर पर राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त शिक्षक व कवि केशव प्रसाद सिंह, भाजपा नेता संजय सिंह सोमवंशी, अमेठी के रणवीर रणंजय पी.जी. कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आदित्य बहादुर सिंह, प्रगतिशील कृषक इन्द्रजीत सिंह सहित अन्य गणमान्यों ने उनका स्वागत किया।
संघ का नया मिशन: हर घर बने ‘हरित घर’
पवैया ने बताया कि आरएसएस ने पर्यावरण को लेकर व्यापक जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ‘हरित घर अभियान’ की शुरुआत की है। इसके तहत प्रत्येक घर को ऐसी जीवनशैली अपनाने को प्रेरित किया जाएगा, जिससे—
जल संरक्षण
ऊर्जा बचत
प्लास्टिक व थर्मोकोल का न्यूनतम उपयोग
घर के जैविक कचरे से खाद निर्माण
पौधारोपण
पक्षियों के लिए घोंसले तैयार करना
जैसी गतिविधियाँ जीवन का हिस्सा बन सकें।
उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक अब तक व्यक्तिगत स्तर पर पर्यावरणीय प्रयासों से जुड़े रहे हैं, किंतु अब यह अभियान संगठित, योजनाबद्ध और व्यापक सामाजिक सहभागिता के साथ चलाया जाएगा।
“पंचतत्व को समझो, तभी पर्यावरण को समझ पाओगे”
अपने उद्बोधन में वरिष्ठ प्रचारक पवैया ने कहा—
“‘सुजलाम-सुफलाम’ की बात करने वाला हमारा देश आज किस स्थिति में पहुंच गया है, यह हमें सोचना होगा। पर्यावरण को समझने की शुरुआत पंचतत्व और पंचमहाभूत को समझने से ही होती है। जहां पंचमहाभूत हैं, वहीं जीवन है—और जन्म से लेकर अंतिम सांस तक की यात्रा पर्यावरण ही है।”
उन्होंने जल–वायु–मृदा प्रदूषण, तेजी से घटते प्राकृतिक संसाधन और बदलती जीवनशैली को गंभीर खतरा बताते हुए समाज से इसमें सक्रिय सहयोग की अपील की।
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