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यूपी-अयोध्या-अयोध्या डेस्क के गठन के साथ ही मंदिर मस्जिद के लिए जमीन देने की कार्यवाही तेज

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यूपी-अयोध्या-अयोध्या डेस्क के गठन के साथ ही मंदिर मस्जिद के लिए जमीन देने की कार्यवाही तेज।

रिपोर्ट मनोज तिवारी अयोध्या

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बीते वर्ष में 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा अयोध्या में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर विवादित भूमि को रामलला को सौंपे जाने और मस्जिद के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन दिए जाने के आदेश के क्रियान्वयन की कार्रवाई जोर पकड़ चुकी है | इस मामले को निपटाने के लिए गृह मंत्रालय के अलावा अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में अयोध्या डेस्क का गठन किया जा चुका है | जिसमें 3 सदस्य शामिल हैं हालांकि अभी मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के स्वरूप पर कोई फैसला नहीं हुआ है और इस ट्रस्ट में सदस्यों की संख्या लगभग दर्जनभर भी हो सकती है | अयोध्या डेस्क में मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार को प्रमुख स्थान दिया गया है | इस डेस्क का काम ही यह होगा कि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने उसके बाद उस ट्रस्ट को जमीन का मालिकाना हक सौंपने के साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड ( Sunni Waqf Board ) को 5 एकड़ जमीन देने की कार्रवाई को भी यह डेस्क अंजाम देगी |आखिर कौन है ज्ञानेश कुमार प्रमुख के रूप में जिनकी नियुक्त हुई है उनकी पहचान इस तरह से भी बताई जा सकती है कि ज्ञानेश कुमार जम्मू और कश्मीर और लद्दाख विभाग के प्रमुख अतिरिक्त सचिव के रूप में बीते वर्ष 5 अगस्त को राज्य के विभाजन और धारा 370 और 35 ए को हटाने की जो कार्रवाई हुई थी उसमें एक अहम किरदार निभाया था | जिसके बाद अब अयोध्या प्रकरण को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ज्ञानेश कुमार को दी गई है | उनके अलावा जम्मू कश्मीर और लद्दाख विभाग के ही संयुक्त सचिव और राष्ट्रीय एकता विभाग के उप सचिव को भी लिस्ट में जगह दी गई है |सुप्रीम कोर्ट के आदेश में 3 महीने का दिया गया था समय,फैसले के विरोध में सभी पुनर्विचार याचिकाएं हो चुकी हैं खारिजबीते वर्ष 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पांच सदस्यों ने संयुक्त रूप से अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए अगले 3 महीने में ट्रस्ट बनाकर रामलला को जमीन सौंपने का निर्देश दिया था उसी के आलोक में यह पूरी कार्रवाई अंजाम दी जा रही है | 9 फरवरी को ये 3 महीने का समय पूरा हो जाएगा और अब सरकार के पास 1 महीने के लगभग का समय बचा हुआ है | इसीलिए अयोध्या में दोनों पक्षों को जमीन सौंपने की कार्रवाई तेज हो गई है | खास बात यह है कि अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता कोर्ट के आदेश के बाद बिल्कुल साफ हो चुका है| हालांकि इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 18 पुनर्विचार याचिकायें डाली गई थी जो कि खारिज हो चुकी है | ऐसे में अब मंदिर निर्माण के लिए जमीन सौंपे जाने और मस्जिद के लिए जमीन दिए जाने को लेकर कोई संशय नहीं है | ये बात अलग है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड जमीन लेता है या नहीं |

राजनीतिक दल के नेताओं को ट्रस्ट में नहीं मिलेगी जगहराम मंदिर के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट में किसी भी पार्टी का कोई नेता शामिल नहीं होगा | इसके अलावा किसी गैर राजनैतिक दल का कोई सदस्य भी इस ट्रस्ट का हिस्सा नहीं होगा चाहे वह हिंदू पक्ष से हो या मुस्लिम | इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को सदस्य बनाने के साथ ही श्री राम जन्मभूमि न्यास  को भी जगह मिल सकती है | वहीँ प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या के जिलाधिकारी या मंडलायुक्त को इस ट्रस्ट में जगह मिल सकती है।

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