खण्ड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कोर्ट ने दिए अग्रिम जांच के आदेश

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खण्ड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कोर्ट ने दिए अग्रिम जांच के आदेश

शिक्षक सूर्यप्रकाश द्विवेदी को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का मामला
विवेचक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई हेतु आदेश एसपी और जेडी अभियोजन को भेजा गया


सुल्तानपुर। सहायक अध्यापक सूर्यप्रकाश द्विवेदी की आत्महत्या मामले में खण्ड शिक्षा अधिकारी (BEO) मनोजीत राव को दी गई क्लीनचिट रिपोर्ट को सुल्तानपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) नवनीत सिंह की अदालत ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने मामले की निष्पक्ष अग्रिम विवेचना के आदेश देते हुए थाना प्रभारी कुड़वार को निर्देशित किया है।

अदालत ने विवेचना में हुई गंभीर लापरवाहियों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए तत्कालीन विवेचक चंद्रभान वर्मा के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है। इस संबंध में आदेश की प्रति पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर तथा संयुक्त निदेशक-अभियोजन को भेजने का निर्देश जारी किया गया है।


क्या है मामला?

बल्दीराय थाना क्षेत्र के केवटली गांव निवासी वादी ज्ञानप्रकाश द्विवेदी ने 7 दिसंबर 2023 को कुड़वार थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
वादी के पिता, सहायक अध्यापक सूर्यप्रकाश द्विवेदी, उच्च प्राथमिक विद्यालय चिता का पुरवा-रवनिया में तैनात थे।

वादी के मुताबिक 2 दिसंबर 2023 को खण्ड शिक्षा अधिकारी मनोजीत राव ने विद्यालय का निरीक्षण किया। उस समय शिक्षक स्वास्थ्य समस्या के चलते प्रार्थनापत्र देकर घर चले गए थे। आरोप के अनुसार बीईओ ने अन्य शिक्षकों व बच्चों के बयान लेकर उनके खिलाफ कथित धनादोहन की नीयत से कार्यवाही कर दी, जिससे दिवंगत शिक्षक मानसिक रूप से व्यथित हो गए।

वादी ने बताया कि इस कार्रवाई से अपमानित महसूस करते हुए उनके पिता ने दो दिन बाद सुसाइड नोट लिखकर बीईओ को जिम्मेदार ठहराया और विषाक्त पदार्थ सेवन कर आत्महत्या कर ली।

घटना के तीन दिन बाद बीईओ के खिलाफ आत्महत्या के दुष्प्रेरण व धमकी की धाराओं में FIR दर्ज की गई।


कैसे मिली क्लीनचिट?

मामले की जांच कई थाना प्रभारियों के बदलने के बाद आखिरकार तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक चंद्रभान वर्मा को मिली।
उन्होंने 21 जुलाई 2024 को अपनी विवेचना में बीईओ को किसी भी अपराध से मुक्त बताते हुए अंतिम रिपोर्ट (FR) पेश कर दी।

इसी रिपोर्ट पर वादी ने सीजेएम कोर्ट में प्रोटेस्ट अर्जी दाखिल की।
वादी ने आरोप लगाया कि विवेचक ने मनमाने तरीके से केस डायरी तैयार की, साक्ष्य को नजरअंदाज किया और मात्र विधिक व्यवस्थाओं का हवाला देकर आरोपी को क्लीनचिट दे दी।


कोर्ट की सख्त टिप्पणी

अदालत ने उपलब्ध साक्ष्यों की समीक्षा करते हुए पाया कि विवेचना में कई महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज किया गया।
सीजेएम ने:

विवेचक की कार्यप्रणाली को त्रुटिपूर्ण और असंगत बताया

अंतिम रिपोर्ट को निरस्त कर दिया

मामले में निष्पक्ष अग्रिम विवेचना का आदेश जारी किया

एसपी और जेडी अभियोजन को विभागीय कार्रवाई हेतु आदेश की प्रति भेजी


अगली सुनवाई

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जनवरी की तारीख तय की है।

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