हाईकोर्ट ने पूछा- सरकारी जमीन पर मूर्ति कैसे स्थापित हुई | सुलतानपुर मामला

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सरकारी जमीन पर मूर्ति कैसे स्थापित हुई: हाईकोर्ट ने पूछा जवाब
पूर्व विधायक स्व. इन्द्रभद्र सिंह की मूर्ति हटाने के विवाद पर कड़ा रुख

सुलतानपुर। पूर्व विधायक स्वर्गीय इन्द्रभद्र सिंह की मूर्ति हटाने का बहुचर्चित मामला अब हाईकोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है। अदालत ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ा हस्तक्षेप किया और सरकार समेत जिले के जिम्मेदार अफसरों से सीधे जवाब-तलब किया है।

हाईकोर्ट की डबल बेंच ने जिलाधिकारी सुलतानपुर और पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि हलफनामा दाखिल करने से पहले यह जांच की जाए कि मूर्ति सरकारी जमीन पर स्थापित है या निजी भूमि पर। यदि यह सरकारी जमीन पाई जाती है तो उसे हटाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर भी स्पष्ट जवाब मांगा गया है। अगली सुनवाई की तारीख 29 अक्टूबर तय की गई है।

यह जनहित याचिका अधिवक्ता अमित कुमार वर्मा ने दाखिल की थी। उन्होंने हलियापुर–कूरेभार मार्ग व जिला न्यायालय के निकट स्थापित मूर्ति को हटाने की मांग की थी। हालांकि, विपक्षी पक्ष के अधिवक्ता ने इसे राजनीति से प्रेरित और निराधार करार दिया। इस पर हाईकोर्ट ने याची को दायित्वों से मुक्त करते हुए खुद स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही आगे बढ़ाने का आदेश दिया।

अदालत ने राज्य सरकार की ओर से गृह विभाग व पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिवों, जिलाधिकारी सुलतानपुर, पीडब्ल्यूडी अधिशासी अभियंता और पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह उर्फ़ सोनू के अधिवक्ता को पक्षकार बनाया है। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा कि यदि जमीन सरकारी या सार्वजनिक है, तो वहां मूर्ति स्थापित ही कैसे हुई। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने साफ किया कि मामले में टालमटोल बर्दाश्त नहीं होगी।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिम्मेदार अफसरों पर कड़ी कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस प्रकरण पर बड़ा फैसला देखने को मिल सकता है।

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