“आई लव मोहम्मद” विवाद: कानपुर से शुरू होकर क्यों बन गया देशव्यापी मुद्दा?
आई लव मोहम्मद विवाद: कैसे शुरू हुआ और क्यों बन गया बड़ा मुद्दा?
सुल्तानपुर/लखनऊ। हाल के दिनों में पूरे उत्तर भारत से लेकर कई राज्यों तक एक नारा चर्चा का विषय बना – “आई लव मोहम्मद”। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक, हर जगह इस नारे पर बहस छिड़ गई। कहीं समर्थन में भीड़ उमड़ी, तो कहीं विरोध में प्रदर्शन और पत्थरबाजी तक हो गई। आखिर यह विवाद शुरू कैसे हुआ और क्यों देशभर में फैल गया? आइए समझते हैं।
कानपुर से शुरू हुआ मामला
मामले की शुरुआत उत्तर प्रदेश के कानपुर से हुई। यहां 4 सितंबर को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (बारावफात) का जुलूस निकाला जा रहा था। जुलूस मार्ग पर आयोजकों ने एक बैनर लगाया, जिस पर लिखा था – “I Love Muhammad”।
स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसे आपत्ति जनक बताते हुए कहा कि यह जुलूस में पहली बार नया तत्व जोड़ा गया है। विवाद बढ़ा तो पुलिस ने बैनर हटवा दिया और कहा कि धार्मिक आयोजनों में “नई रस्में” जोड़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
एफआईआर और कानूनी कार्रवाई
इसके बाद कानपुर पुलिस ने जुलूस के आयोजकों पर कार्रवाई करते हुए 9 नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। पुलिस का कहना था कि मामला सिर्फ नारे तक सीमित नहीं था, बल्कि जुलूस मार्ग पर लगे दूसरे पोस्टर हटाने और विवाद खड़ा करने की कोशिश की गई थी।
बरेली में भड़की हिंसा
कानपुर से उठा यह विवाद जल्द ही बरेली पहुंच गया। यहां “आई लव मोहम्मद” के समर्थन में निकाले गए जुलूस में बवाल हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और हालात बिगड़े। स्थिति काबू में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। कई जिलों में इस नारे के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड
विवाद बढ़ने के साथ ही सोशल मीडिया पर #ILoveMuhammad ट्रेंड करने लगा। हजारों लोगों ने अपने प्रोफाइल और घरों-दुकानों पर यह नारा लिखना शुरू कर दिया। वहीं, इसके विरोध में “I Love Ram”, “I Love Mahadev” जैसे नारे भी चलने लगे।
नेताओं की बयानबाज़ी
मामले ने जैसे ही राजनीतिक रंग पकड़ा, कई नेता भी खुलकर सामने आ गए।
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि “आई लव मोहम्मद कहना कोई अपराध नहीं है।”
दूसरी ओर, हिंदू संगठनों ने इसे उकसावे की राजनीति बताते हुए विरोध तेज़ कर दिया।
बरेली के मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने अपील की – “मोहब्बत दिलों में होनी चाहिए, सड़कों पर नहीं।”
प्रशासन सख्त
बरेली में प्रदर्शन भड़काने के आरोप में मौलाना तौकीर रज़ा को हिरासत में लिया गया। पुलिस ने उनके समर्थकों की कुछ अवैध संपत्तियों को चिह्नित कर तोड़फोड़ की तैयारी भी शुरू कर दी है।
विवाद की जड़ क्या है?
विशेषज्ञों के अनुसार, विवाद की असली वजह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि धार्मिक भावनाओं की संवेदनशीलता और राजनीति का तड़का है।
मुस्लिम समुदाय का मानना है कि “आई लव मोहम्मद” उनका ईमान और आस्था से जुड़ा नारा है।
विरोध करने वाले समूहों का कहना है कि यह परंपरागत जुलूस में नई प्रथा डालकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश है।
राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपनी-अपनी रणनीति के अनुसार भुनाने में लगे हैं।
निष्कर्ष
कानपुर के एक छोटे से बैनर से शुरू हुआ यह विवाद आज देशव्यापी चर्चा बन चुका है। सोशल मीडिया की ताकत और धार्मिक संवेदनशीलता ने इसे और बड़ा बना दिया। सवाल अब यह है कि क्या यह नारा महज आस्था की अभिव्यक्ति है या फिर राजनीति और धर्म के टकराव की एक नई कड़ी?
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