भारत में निवेश की रफ्तार तेज, 81 अरब डॉलर FDI प्रवाह दर्ज
📈 भारत में निवेश – 2025 की ताज़ा तस्वीर
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) – प्रवाह और चुनौतियाँ
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत को लगभग 81 अरब डॉलर का ग्रॉस FDI प्राप्त हुआ — यह एक वर्ष में करीब 14 % की वृद्धि दर्शाता है।
हालांकि, “नेट” FDI में गिरावट आई है — 2025 में शुद्ध प्रवाह रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया।
भारत सरकार ने पिछले कुछ समय में कई नीतिगत सुधारों की रूपरेखा पेश की है — जैसे कि अब बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को 74 % से बढ़ाकर 100 % करने की प्रस्तावित योजना।
इसके अलावा, निवेशकों की कर सुरक्षा और नियमों की पारदर्शिता को लेकर “Tax certainty / presumptive regime” जैसे सुधार सुने जा रहे हैं ताकि FDI को और आकर्षक बनाया जा सके।
- भारत का आउटगोइंग निवेश (विदेशों में निवेश)
सितंबर 2025 में भारत की आउटगोइंग FDI लगभग $4.41 अरब रही, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ी कम है, लेकिन अगस्त 2025 की तुलना में अधिक रही।
इसी अवधि में इक्विटी निवेश (Equity commitments) में तीन गुना वृद्धि हुई — $2.57 अरब तक।
- नए निवेश व परियोजनाएँ
BPCL (भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड) ने आंध्र प्रदेश में लगभग $11 अरब की रिफाइनरी एवं पॉलिमर संयंत्र परियोजना के लिए भूमि सुरक्षित की है।
Avaada Group ने गुजरात में 36,000 करोड़ रुपये का नवीनीकृत ऊर्जा (Solar + Wind + Battery Storage) निवेश करने का समझौता किया है।
आंध्र प्रदेश ने गूगल के डेटा सेंटर प्रोजेक्ट के लिए विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया है, राज्य सरकार की निवेश उत्साहजनक नीतियों व कर छूटों के चलते।
- निवेश प्रवृत्तियाँ और रुझान
भारत की अर्थव्यवस्था और नीति स्थिरता ने रीयल एस्टेट, डेटा सेंटर्स, लॉजिस्टिक्स और ग्रिड-एज ऊर्जा परियोजनाओं को निवेश के क्षेत्र के रूप में उभारा है।
भारत–EFTA (European Free Trade Association) के बीच TEPA (Trade & Economic Partnership Agreement) 1 अक्टूबर 2025 से लागू हो रहा है, जिसमें निवेश प्रोत्साहन और व्यापार सुविधा को बढ़ावा देने का प्रावधान है।
सरकार विदेशी व्यक्तियों के निवेश की सीमा को भी दोगुना करने की योजना बना रही है — ताकि पूँजी प्रवाह और निवेश धाराओं को बढ़ाया जा सके।
✍️ विश्लेषण एवं सुझाव
भारत को निवेश आकर्षित करने में बड़ी सफलता मिली है, लेकिन नेट FDI में गिरावट यह संकेत देती है कि निवेशकों में भरोसा बनाए रखना भी चुनौती है।
कर नीति की अस्पष्टता और “स्थायी प्रतिष्ठान (Permanent Establishment)” की व्याख्या पर बदलाव अभी भी निवेशकों के लिए चिंता का विषय हैं।
स्थानीय स्तर पर, राज्य सरकारों को निवेश की सुविधा (Land allotment, single window clearance, बिजली/संरचना सहूलियत) और निवेशक सुरक्षा को और मजबूत करना होगा।
निवेश कार्यक्रमों को विशेष क्षेत्रों (जैसे स्वच्छ ऊर्जा, हेल्थकेयर, टेक्नोलॉजी, डेटा सेंटर) पर केंद्रित करना लाभदायक रहेगा क्योंकि वैश्विक दृष्टिकोण में ये क्षेत्र आज निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं।
साथ ही, घरेलू निवेशकों और मेधावी स्टार्टups को भी प्रोत्साहित करना चाहिए — क्योंकि घरेलू पूंजी बहिर्गमन को कम कर सकती है और अर्थव्यवस्था को स्थिरता दे सकती है।
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फाइनेंस न्यूज़: भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत राह पर, निवेश पर फोकस
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