भारत में इन्स्योरेंस का नया अध्याय: GST छूट, जीवन-प्रीमियम में गिरावट

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इन्स्योरेंस सेक्टर भारत में पिछले कुछ महीनों से तेजी से बदलावों की स्थिति में है। सरकार और नियामक प्राधिकरणों (IRDAI) द्वारा लागू की गई नई नीतियां, टैक्स में संशोधन, और डिजिटलीकरण (digitalization) ने इस इंडस्ट्री की दिशा ही बदल दी है। इस लेख में हम देखेंगे ये बदलाव क्या हैं, उनके प्रभाव, और बीमाधारकों के लिए क्या मायने रखें।


मुख्य अपडेट्स

  1. GST में छूट (GST Exemption)

जीवन (life) और स्वास्थ्य (health) बीमा प्रीमियमों पर अब GST पूरी तरह से मुक्त होगा। यह निर्णय 22 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा।

इससे बीमाधारकों का खर्च घट जाएगा, विशेषकर उन लोगों का जो नियमित प्रीमियम भरते हैं।

  1. नए & जीवन-बीमा में प्रीमियम की गिरावट

अगस्त 2025 में जीवन बीमा कंपनियों ने नए व्यवसाय (new business) प्रीमियम में लगभग 5.2% की गिरावट देखी, जिसमें LIC (Life Insurance Corporation) का प्रदर्शन कमजोर रहने की वजह से कुल ग्रोथ प्रभावित हुई।

निजी कंपनियों ने इस कमी की भरपाई की कुछ हद तक, लेकिन समग्र प्रदर्शन में दबाव है।

  1. गैर-जीवन (Non-Life) बीमा में बढ़त

जून 2025 में गैर-जीवन बीमा प्रीमियमों में लगभग 5.2% की साल-ब-साल (YoY) वृद्धि हुई।

आग, मोटर और वाणिज्यिक रुझानों (commercial lines) में उछाल देखा गया है। हालांकि स्वास्थ्य बीमा और यात्री वाहन (passenger vehicle) सेगमेंट में वृद्धि अपेक्षाकृत धीमी रही।

  1. IRDAI की नीतिगत सुधार और उपभोक्ता सुरक्षा

वरिष्ठ नागरिकों (age 60+) के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में वार्षिक वृद्धि को 10% से ज्यादा नहीं होने देने का नियामक प्रावधान।

उत्पाद (products) और संचालन (operations) में डिजिटलीकरण बढ़ रहा है जैसे कि ई-केवाईसी (e-KYC), OTP आधारित प्रमाणीकरण आदि।

  1. बाजार और प्रौद्योगिकी रुझान

बीमा कंपनियाँ डिजिटल माध्यम और InsurTech समाधानों को अपना रही हैं ताकि क्लेम प्रसंस्करण (claim settlement), बीमा उत्पाद वितरण, और ग्राहक सेवा में सुधार हो सके।

बीमा उत्पादों (especially स्वास्थ्य और जीवन) में “पोर्टेबिलिटी” और “घर-से-घर” (doorstep) सुविधाएँ अधिक वांछनीय हो रही हैं।


अवसर एवं चुनौतियाँ

अवसर:

टैक्स में छूट से नए खरीदारों में रुचि बढ़ेगी।

गैर-जीवन बीमा की वृद्धि से प्रीमियम राजस्व में इजाफा।

ग्रामीण इलाकों और अनछुए बाजारों में बीमा पहुंच बढ़ाने के अवसर।

चुनौतियाँ:

बीमाधारकों की अपेक्षाएँ (expectations) बढ़ी हैं। शिकायत निवारण (grievance redressal) त्वरित होना चाहिए।

प्रीमियम गिरावट से कुछ कंपनियों की मार्जिन पर असर हो सकता है।

टिकाऊ डिजिटल अवसंरचना और साइबर सुरक्षा (cybersecurity) का ध्यान रखना होगा।


निष्कर्ष

इन्स्योरेंस सेक्टर में ये बदलाव यह संकेत देते हैं कि भारत सरकार और नियामक संस्था बीमाधारकों के हित में कार्रवाई कर रहे हैं। टैक्सों में छूट, प्रीमियमों की प्रतिस्पर्धा, और डिजिटलीकरण से ग्राहकों के लिए बेहतर लागत-प्रभावशीलता और सुविधा संभव है। मगर यह ध्यान देना ज़रूरी है कि ये लाभ तभी सही तरह से मिलेंगे जब कंपनियाँ पारदर्शी हों, ग्राहक सेवा अच्छी हो, और नियामक प्रावधानों का पालन कड़ाई से हो।

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