“चुनाव आवा तब देख परे नेताजी तोहरे वादे का जनता भुलान थोड़े है”–रफ़ीक शदानी।
रफ़ीक़ शदानी की कविता में पंचायत चुनाव के दौरान नेताओं के वादों और उनकी जिम्मेदारियों पर कटाक्ष किया गया है। कविता की अंतिम पंक्ति "चुनाव आवा तब देख परे नेताजी तोहरे वादे का जनता!-->…
Read More...
Read More...