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अमेठी।जिला मुख्यालय गौरीगंज में खसरा खतौनी के नाम पर हो रही लूट

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अमेठी।जिला मुख्यालय गौरीगंज में खसरा खतौनी के नाम पर हो रही लूट

चंदन दुबे की रिपोर्ट

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जिला अमेठी के तहसील गौरीगंज जो अब जिले के रूप में जिले के मुख्यालय के रूप में यहां काम हो रहा है चंद्र देव पांडेय जो कटारी गौरा पूरब गौरा सम्भई के लेखपाल हैं इन गांव के लोग बताते हैं खसरे के लिए लेखपाल महोदय के द्वारा जिला मुख्यालय पर बुलाया जाता है जबकि यह जामो आसपास के कहीं पर भी बुला करके इसकी नकल दी जा सकती है गांव में रहने के लिए भी लेखपालों को निर्देश है लेकिन सूत्र बताते हैं यह कुमारगंज से रोज आते जाते रहते हैं।

आप लोग देखिए मोहित कुमार सुत रामसनेही गांव राजा सरनाम सिंह पोस्ट सम्भयी थाना जामो जनपद अमेठी नाम के व्यक्ति से जिला मुख्यालय बुलाकर के नकल का पैसा लिया जा रहा है खसरे का कागज मोहित कुमार ने स्वयं के पैसे से खरीद कर के लाकरके लेखपाल को दिया था यानी लेखपाल साहब उस कागज पर खतौनी से देख कर के मोहित कुमार के द्वारा लाए गए खसरे के कागज पर लिख कर के और हस्ताक्षर कर देने का यह पैसा ले रहे हैं अब सवाल यह उठता है कि कहीं-कहीं पर ₹30 लेखपाल लोग लेते हैं कहीं तो ₹40 लेते हैं कहीं पर ₹50 लेते हैं इन महोदय के द्वारा ₹20 प्रति नकल का लिया जा रहा है सूत्र बताते हैं वैधानिक इसका शुल्क ₹2 है क्या सही क्या गलत है अधिकारियों के संज्ञान में यह बात लाई जा रही है यदि लेखपाल महोदय के द्वारा गलत पैसा लिया जा रहा है तो तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है और यह पैसे तहसील में तमाम लोगों के सामने ले रहे हैं जिला मुख्यालय पर बुलाकर के आदमी 20 किलोमीटर चलकर के जिला मुख्यालय पर नकल बनवाने के लिए गया हुआ है यानी मौजूद है मजबूर है और पैसे दे रहा है जामों के हालात यह है कुछ लेखपाल तो 50 से ₹100 तक ले रहे हैं पूरी तरीके से लूट मची हुई है 1 लेखपाल दिन भर में 10 ,15 और 20 खसरे तक बनाते हैं जो लोग ₹50 लेते हैं वह सीधा ₹1000 कमा लेते हैं जो लोग ₹20 लेते हैं वह ₹200 कमा लेते हैं जो लोग ₹30 लेते हैं ₹300 कमा लेते हैं अब सवाल यह उठता है कि क्या यह पैसे कहीं जमा भी होता है और कभी-कभी तो एक-एक लेखपाल 50 खसरे तक बना जाते हैं जैसे किसी का लोन लेना होता है ऐसे दौर चलते हैं कि लोग खसरे के लिए लाइन लगाते हैं 1,1 लेखपाल 50,50 खसरे तक बनाते हैं यह स्थिति तब होती है जब कोई कैंप लगता है तब यह खसरे की संख्या 100, 200 को पार कर जाती है और एक एक लेखपाल इसमें अच्छी कमाई करते हैं एक लेखपाल के पास में कई कई मौजे हैं कभी-कभी तो यह दो तीन हजार रु खसरे से रोज कमा लेते हैं कभी-कभी दो ढाई सौ कभी चार पांच सौ अब सवाल उठता है कि यह पैसे कहीं जमा होता है तहसील में जो खतौनी की नकल दी जाती है जो लोग 15 रु जमा करके तहसील से ले लेते हैं वह सरकारी खजाने में जाता है लेकिन जो लूट मची हुई है इसका निर्धारित शुल्क लोगों को पता ना होने से पूरी तरीके से खुल्लम-खुल्ला चाहे जितना ले ले इस पर कोई नियंत्रण नहीं है आशा है इस खबर को संज्ञान में लेकर शासन-प्रशासन कानूनी कार्रवाई करेगा जैसा कि मोहित कुमार से तीन खसरे का ₹60 लिया गया है यदि यह सही लिया गया है तो मेरे द्वारा दूसरी वीडियो फिर जारी की जाएगी जिसमें और ज्यादा पैसे लेखपाल लोग ले रहे हैं लेखपाल जो खसरे की नकल जारी करते हैं उस पर लिख देते हैं वैधानिक शुल्क प्राप्त किया मा जिला अधिकारी उप जिलाधिकारी महोदय को सीधे निर्देश देना चाहिए कि आब जो नकल जारी की जाए खसरे की उस पर जो शुल्क लिया जा रहा है वह लिखा जाए ना की वैधानिक शुल्क क्योंकि जो खसरा ले रहा है उसको यह नहीं पता होता कि शुल्क क्या है उनके स्थान पर जो शुल्क लेखपाल के द्वारा लिया जाए वह लिखा जाए जिससे दगल फसल की गुंजाइश ना रह जाए।

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