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अंग्रेजों के समय ठगी के एक से एक नायाब मामले अब आ रहे हैं पुलिस के सामने,ऑनलाइन करते वक्त आ रही हैं रोचक जानकारी,रुकी रही चार दिन बारात,ना मिली दुल्हन, ना मिला पैसा।

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एफआईआर व अन्य डाटा ऑनलाइन किए जाने के बाद ऐसे तमाम रोचक किस्सों से हो रहे हैं रूबरू।

देश में पुलिस अधिनियम लागू होने के बाद जब थानों में मुकदमें दर्ज होने का सिलसिला शुरू हुआ तो एक से एक विचित्र फरियादी इंसाफ की गुहार लेकर पहुंचे। हाल ही में दिल्ली पुलिस की ओर से उस समय की एफआईआर व अन्य डाटा ऑनलाइन किए जाने के बाद ऐसे तमाम रोचक किस्सों पर रोशनी पड़ती है।

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दिल्ली पुलिस के एसीपी राजेंद्र सिंह कलकल कहते हैं कि पहले ठगी के एक से एक नायाब मामले आते थे सामने।

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पुरानी एफआईआर समेत अन्य कागजात को संभालकर रखने वाले दिल्ली पुलिस के एसीपी राजेंद्र सिंह कलकल कहते हैं कि पहले ठगी के एक से एक नायाब मामले सामने आते थे। इसी में से एक रोचक किस्सा वर्ष 1905 का है। ठगी के इस मामले की एफआईआर 9 जून, 1905 को सब्जी मंडी थाने में हुई थी। जानकारी आ रही है कि शिवा वल्द हरदेव ने सब्जी मंडी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसने रिश्तेदार फत्ते को अपनी शादी कराने को कहा था। दो महीने के बाद फत्ते अपने परिचित रूपराम को लेकर आया। रूपराम ने कहा कि उसकी लड़की 16 वर्ष की है और 20 रुपये में शादी करा देगा।

रूपराम के घर चार दिन से ठहरी रही बरात।

शिवा ने रूपराम को 20 रुपये दे दिए और शादी तय हो गई। चार दिन बाद जब शिवा रूपराम के घर बरात लेकर पहुंचा तो दुल्हन के जोड़े में उम्रदराज महिला को दिखाने लगा। कुछ समय बाद महिला लापता हो गई। बाद में पता लगा कि रूपराम की कोई बेटी नहीं है। रूपराम के घर चार दिन से बरात ठहरी रही। उसने पैसे वापस किए और न ही शादी कराई।

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